भूमिका :
योग का अर्थ है “बांधना” या “एकता” योग स्वास्थ्य का पूरा विज्ञान है, हमारे देश में प्राचीन काल से ही योग किया जाता है | पहले साधु-संत लोग किया करते थे क्योंकि योग करने से शरीर को ताकत मिलती है | जिसे शरीर स्वस्थ रहता है | योग एक प्राचीन भारतीय जीवन-पद्धति का सूत्रधार महर्षि पतंजलि को माना जाता है |
योग करने का सही तरिका
योग करने के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त का समय सबसे अच्छा होता है | हमेशा योग स्नान करने के बाद ही करना चाहिए | योग हमेशा खाली पेट ही करना चाहिए | कभी भी सूती कपडे पहनकर योग करना अच्छा रहता है | योग करने के आधे घंटे बाद ही कुछ खाना चाहिए |
योग गुरु या विशेषज्ञ से अच्छे से सीखकर करना चाहिए, हमेशा प्रशिक्षित योग गुरु से ही सीखना चाहिए | योग हमेशा शांत वातावरण में करना चाहिए और किसी दरी या चटाई पर करना चाहिए |
योग के चार प्रकार होते हैं :
मंत्र योग
मंत्र योग का अर्थ है – ‘मननात् त्रायते इति मंत्रः’ मंत्र योग का संबंध मन से हैं | जो मनन चिंतन करता है वही मन है | मंत्र योग से ध्वनि तरंगें उत्पन्न हैं, जिसका शरीर और मन पर प्रभाव पड़ता है |
मंत्र योग में तीन घटकों का अधिक महत्व है | जैसे घटक-उच्चारण, लय और ताल इन तीनों का सही अनुपात मंत्र शक्ति को बढ़ा देता है | मंत्र योग को चार प्रकार से किया जाता है |
- भाषण
- मानसिक
- उपांशु
- अणपा
हठ योग
हठ का शाब्दिक अर्थ होता है – हठपूर्वक कोई भी काम करने से लिया जाता है | ‘ह’ का अर्थ सूर्य तथ ‘ठ’ का अर्थ चन्द्र – सूर्य और चंद्र की समान अवस्था हठ योग है | हठ योग का संबंध नाडियों से है, शरीर में कई हजार नाड़ी हैं उनमें से प्रमुख तीन नाड़ियों का वर्णनं है | सूर्यनाडी- पिंगला, चन्द्रनाड़ी-इड़ा,इन दोनों के बिच तीसरी नाड़ी है सुषुम्ना | हठ योग तनाव को दूर रखता है और रीढ़ को सही रखता है |
कुंडलिनी योग (लय योग)
कुंडलिनी योग को जागृत किया जाता है, यह ऊर्जा रीढ़ में होती है | चित्त की निरुद्ध अवस्था कुंडलिनी योग के अंतर्गत आता है | चलते, बैठते, सोते, भोजन करते समय ब्रह्मा का ध्यान रखना ही लय योग कहलाता है |
राज योग
राज योग सभी योगों का राजा कहलाता है क्योंकि इसमें सभी प्रकार की योगों का कुछ न कुछ सामग्री जरुर मिल ही जाता है | राज योग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग का वर्णन आता है |
महर्षि पतंजलि के योग के आठ सूत्र
- यम – सत्य बोलना, अहिंसा लोभ न करना, स्वार्थी न होना
- नियम – पवित्रता, तपस्या, अध्ययन
- आसन
- प्राणायाम – सांस को लेना, छोड़ना और स्थगित रखने का अभ्यास
- प्रत्याहार
- धारणा
- ध्यान
- समाधि – सविकल्प, अविकल्प
निष्कर्ष :
योग एक प्रकार का भौतिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रुप से काम करता है | योग मनुष्य को आंतरिक रुप से मजबूत बनाता है |