प्रस्तावना:
भारतीय महिला जन्म से लेकर मृत्यु तक एक अच्छी भूमिका निभाती हैं | महिला अपने सभी भूमिका निभाने से भी आज के आधुनिक युग में पुरुषों के पीछे कड़ी दिखाई देती हैं | हर एक महिला या नारी का सम्मान करना और उसकी रक्षा करना यह हमारे देश पुरानी संस्कृति हैं |
लेकिन भारतीय समाज में नारी को उसके अधिकार और स्थान नही देते थे | नारी को एक तरफ से देवी के रूप में पूजा जाता था और दूसरी तरफ से उसे अबला नारी भी कहाँ जाता था |
प्राचीन समय में नारी स्थान
प्राचीन समय में नारी को उचित स्थान नही मिलता था | उसे उसके अधिकार नही मिल पाते थे | कई लोगों की सोच गलत होने के कारण नारी के साथ बुरे बर्ताव किते जाते हैं |
कई लोग सोचते थे की, लड़का हमारे वंश को आगे बढ़ाने वाला रहता हैं और लड़की तो दुसरे घर जाने वाली होती हैं | नारी को पराया धन समझा जाता था |
विधवा प्रथा
इस सबसे पहले ज़माने में विधवा प्रथा रूढ़ थी | जिसके कारण नारी को उन सभी प्रथाओं का सामना करना पड़ता था | इस समाज में दहेज़ प्रथा, बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या इ. विविध प्रथा रूढ़ थी |
जिसके कारण हर एक नारी को अबला नारी के रूप में समझा जाता था | समाज के अत्याचारों की वजह से नारी को शोषित किया जाता था |
देश के आजादी के बाद नारी जीवन
भारत देश को आज़ादी मिलने के बाद नारी के जीवन में परिवर्तन होने लगा | हर एक नारी को उसके अधिकार और उसका उचित स्थान मिलने लगा |
नारी पुरुषों के साथ साथ मिलकर काम करने लगी | आज की नारी परिवार के साथ – साथ बाहर जाकर भी काम करने लगी हैं |
शिक्षा का प्रचार
आज के युग में नारी शिक्षा प्राप्त करके अपने अधिकारों के लिए खुद लढ सकती हैं | इसलिए हर एक नारी को शिक्षित करने के लिए सरकार ने बहुत सारी योजनाए शुरू की हैं |
उस योजनाओं के द्वारा हर एक नारी को शिक्षित किया जा रहा हैं | आज की नारी शिक्षा ग्रहण करके पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलकर चल रही हैं | पुरुषों के साथ – साथ हर एक क्षेत्र में कार्य कर हैं |
नारी का समाज सम्मान
समाज और देश में नारी के प्रति विश्वास और सम्मान की भावना व्यक्त की जा रही हैं | नारी को हर जगह पर उसे उचित स्थान मिलने लगा हैं |
नारी चार दीवारों से बाहर निकलकर अपने जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं | आज की नारी अपना जीवन स्वतंत्रपणे जी रही हैं |
निष्कर्ष:
भारतीय नारी को समाज में उसे अपना उचित स्थान मिलना जरुरी हैं | आज भारतीय नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर देश और समाज के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं |
नारी का यह रूप ममतामयी और दया के तरह होता हैं | इसलिए नारी का समाज और देश में आदर और सम्मान करना चाहिए |