मदर टेरेसा पर लघु निबंध – पढ़े यहाँ Very Short Essay On Mother Teresa In Hindi

प्रस्तावना :

‘मदर टेरेसा’ का नाम उन महान लोगों में गिना जाता है जिन्होनें अपने जीवन को दूसरों के लिए समर्पित कर दिया | मदर टेरेसा दया, सेवा, प्यार और ममता की साक्षात मूरत थी | जिन्होनें अपाहिज, लूले, लंगड़े और दिन-हीन की सेवा को अपना धर्म बना लिया था | पुरे विश्व भर के दिन-हीन लोग मदर टेरेसा को पाकर सनाथ हो गए |

मदर टेरेसा का जन्म २६ अगस्त १९१० में मेसिडोनियों की राजधानी स्कोप्जे शहर में हुआ था | उनके पिता का नाम निकोले बोजाक्सीहु था कर माता का नाम द्राणफिले बोजाक्सीहु था | मदर टेरेसा का जन्म एक अल्बेनियाई परिवार में हुआ था | उनके पिता धार्मिक विचारों के व्यक्ति थे | मदर टेरेसा का नाम एग्नेस गोंझा बोजाक्सीहु था |

मदर टेरेसा अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान थी | वे अपने माता-पिता के दान-परोपकार से अत्यधिक प्रेरित थी | मदर टेरेसा ९ साल की थी तभी उनके पिता का देहांत हो गया | मदर टेरेसा को पढ़ना और गीत गाना बहुत पसंद था | उन्हें यह अनुभव हो गया था की वे अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा बिता देंगी |

मदर टेरेसा पारंपरिक वस्त्रों को त्याग कर नीली किनारी की साड़ी पहनने का निर्णय ली और तभी से मानवता की सेवा का काम करने लगी | मदर टेरेसा १२ साल की उम्र में नन बनने का फैसला की और १८ साल की उम्र में कलकत्ता में आइरेश नौरेटो नन मिशनरी में शामिल होने का फैसला लिया | प्रतिज्ञा लेने के बाद सेंट मैरी हाईस्कूल कलकत्ता में अध्यापिका बन गई |

मदर टेरेसा २० साल तक अध्यापक पद पर कार्य करती रही उसके बाद प्रधान अध्यापक पद पर भी ईमानदारी से कार्य की लेकिन उनका मन गरीबों की पीड़ा और दर्द ने उनके मन को बैचैन कर दिया था | मदर टेरेसा बहुत ही धार्मिक और त्याग की मूर्ति थी |

मदर टेरेसा की मुस्कान उनकी ह्रदय, की गहराई से निकलती थी | मदर टेरेसा ६ जनवरी १९२९ को कलकत्ता में लोरेटो कान्वेंट पहुंची उसके बाद उन्होंने पटना से होली फैमिली हॉस्पिटल से आवश्यक नर्सिंग ट्रैनिग पूरी की और सन १९४८ में वहां के बच्चों को पढानें के लिए स्कूल खोला | उसके बाद उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की |

मदर टेरेसा भारत में सबसे पहले दार्जिलिंग में  सेवा करना शुरू किया था | सन १९३१ में उन्होंने अपना नाम बदलकर टेरेसा रखा था | मदर टेरेसा एक संगठन की शरुआत की थी जिसमें गरीबों की भलाई के लिए निःशुल्क किया था |

मदर टेरेसा को सन १९८३ में २३वाँ पुरस्कार मिला था उन्हें शांति पुरस्कार और टेम्पलेटन फाउंडेशन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था |

मदर टेरेसा ने १९ मार्च १९९७ को मशीनरीज ऑफ चैरिटी का पद छोड़ दिया था जिसके कुछ महीनों बाद उनकी मृत्यु हो गई थी | उनका कहना था की हमें एक-दूसरे से इस तरह प्रेम करना चाहिए जिस प्रकार ईश्वर हम सबसे करता है |

Updated: फ़रवरी 1, 2020 — 11:36 पूर्वाह्न

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