वन महोत्सव पर निबंध – पढ़े यहाँ Van Mahotsav In Hindi Essay

प्रस्तावना :

वृक्ष मानव जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं | यह मानव द्वारा छोड़े गए कार्बन डाइऑक्साइड गैस को खिंच लेते हैं और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं | मानव जीवन में वृक्षों का विशेष महत्व है |

वन मनुष्य से लेकर पशु पक्षियों सभी के लिए महत्वपूर्ण है | यह हमें बहुत कुछ देते हैं जैसे छाया, फल फूल, ऑक्सीजन लेकिन बदले में कुछ नहीं मांगते हैं |

वन महोत्सव मनाने का कारण

वन महोत्सव जुलाई महीने के एक सप्ताह पहले मनाया जाता है | इस दिन देश भर में लाखों की संख्या से भी अधिक पेड़-पौधे लगाये जाते हैं |

]वर्षों पहले वनों में निरंतर कटाई होने के कारण वातावरण का संतुलन बिगड़ गया है |जिससे मौसम में काफी बदलाव आ गया है | लगातार तापमान में बढ़ोतरी हो रही है इसलिए वृक्षों को लगाना जरुरी हो गया है |

वनों की कटाई के दुष्परिणाम

वनों की कटाई के कारण जीव-जंतुओं की प्रजाति भी लगातार लुप्त होती जा रही है | साथ ही मनुष्य के लिए भी एक खतरा मंडराता हुआ नजर आ रहा है | वास्तव में वन का मानव जीवन में सबसे अधिक महत्व है |

वृक्ष वर्षा को भी आकर्षित करते हैं | लेकिन आधुनिक युग में मानव अपनी तरक्की के प्रति इतना जागरूक हो गए हैं की यह भूल गए हैं  ही हमारी धरोहर है |

वन महोत्सव कब शुरू किया गया

वन महोत्सव सन १९५० में शुरू किया गया था | हमारे भारत देश में वृक्षों की पूजा की जाती है | यहाँ के रहने वाले लोग वृक्षों को देवता के रुप में पूजा करते है | प्राचीन काल से ही मानव वृक्षों की पूजा करता आ रहा है |

हमारे भारत में लोग पेड़ों की पत्तियों और टहनियों का इस्तेमाल विशेष रुप से पूजा में करते हैं | मानव प्राचीन काल से ही वृक्षों की पूजा करता आ रहा है |

वन महोत्सव दिवस

वन महोत्सव एक वार्षिक वृक्ष लगाने का त्यौहार है | इस आंदोलन कृषि के लिए भारत के केंद्रीय मंत्री Kulapati Dr.KM मुंशी द्वारा सन १९५० में शुरू किया गया था |

यह त्यौहार राष्ट्रिय महत्व प्राप्त की है | हर साल पौधों के लाखो वन महोत्सव सप्ताह के अवलोकन में पुरे भारत में लगाया गया है |

पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश

यह भारत के प्रत्येक नागरिक को वन महोत्सव सप्ताह में एक पौधा संयंत्र के लिए है | भारत में हर साल जुलाई के प्रथम सप्ताह में वृक्षारोपण की लिए मनाय जाने वाला त्यौहार है |

पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलता को अभिव्यक्त करने वाला एक आंदोलन है |

वृक्षों की उपासना

वृक्षों के महत्व एवं गौरव को समझते हुए हमारी प्राचीन परंपरा में इनकी आराधना पर बल दिया गया है | जैसे पीपल के वृक्षों की पूजा करना, उपवास रखकर  उसके चारो तरफ परिक्रमा करना और जल अर्पण करना |

वृक्षों से हमें नैतिकता, परोपकार और विनम्रता की शिक्षा मिलती है | वृक्ष स्वंय फल नहीं कहते हैं वे दूसरों को ही खिलाते हैं | वृक्ष जितना ही फल और फूल से लड़ा रहता है उतना ही झुका हुआ रहता है | लेकिन आज इस दृष्टि से वृक्षों का अस्तित्व मिटा दिया तो कल आने वाले समय में इस सृष्टि पर जीवन संभव नहीं होगा |

Updated: जनवरी 29, 2020 — 5:30 पूर्वाह्न

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