प्रस्तावना:
बाघ यह एक जंगली जानवर हैं | यह सबसे ताकतवर पशु हैं, जो अपनी शक्ति, चपलता और आकर्षण के बहुत प्रसिद्ध हैं | यह भारत देश का राष्ट्रीय पशु हैं | इसकी सुंदरता और शाही दिखावट को देखकर भारत सरकारने हमारे देश बाघ को राष्ट्रीय पशु के रूप में चुना हैं |
बाघ को हमारे देश में बंगाल टाइगर के नाम से जाना जाता हैं | यह एक एशियन मांसाहारी पशु हैं | इसका का वैज्ञानिक नाम ‘पैंथेरा टाइग्रिस’ के नाम से जाना जाता हैं | पुरे विश्व में इसकी बहुत सारी प्रजाति और उपप्रजतियाँ पायी जाती हैं |
बाघ की शरीर रचना
बाघ का रंग पीला और हल्का भूरा होता है | बाघ के शरीर पर काले रंग की धारियां होती हैं | बाघ की पूंछ बहुत लम्बी होती हैं | बाघ के चार पैर होते हैं | इसके दात बहुत धारदार होते हैं | बाघ के पंजों में नुकीले नाख़ून होते हैं |
बाघ का शरीर काफी मजबूत होता हैं | बाघ यह एक स्तनधारी जानवर हैं | यह दिन में समय के लिए पेड़ों की छाया में सोते हैं | बाघ का प्रिय भोजन मांस हैं | यह रात में शिकार करते हैं |
बाघ की मुख्य विशेषता
बाघ बहुत तेज रफ़्तार से दौड़ सकते हैं, लेकिन बाघ का शरीर मजबूत होने के कारण थक जाते हैं |
इसका जीवन काल १० से १५ वर्ष तक का होता हैं | लेकिन कुछ बाघ 25 साल तक जीवित रह सकते हैं |
यह झाड़ियों में छुपकर अपना शिकार करते हैं | बाघ ज्यादातर तो जंगल में अकेला रहना पसंद करता हैं |
बाघ की प्रजाति बिल्लियों की प्रजाति की तरह होती हैं | बाघ इंसान की तरह पानी में तैर सकता हैं |
बाघ के पीछे के पैर आगे के पैर की तुलना में बहुत बड़े होते हैं | जिसकी वजह से वो २० या ३० फूट तक बड़ी छलांग लगा सकते हैं |
बाघ जब शिकार करने जाता हैं, तो उसके पैरों का आवाज नहीं होता हैं |
बाघ की प्रजातियाँ
बाघ की लगबग ८ प्रजातियाँ पायी जाती हैं | आज विश्व में बाघ की ६ प्रजातियाँ जीवित हैं | (बंगाल टायगर, सुमात्रा बाघ, ईडो –चायनीज बाघ, साइबेरियन बाघ, मलयान बाघ और दक्षिणी चीनी बाघ ) |
हमारे भारत देश में बाघ की सबसे सुंदर प्रजाति पायी जाती हैं | भारत देश के अलावा बाघ की प्रजाति नेपाल, बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन – भूटान, कोरिया, साइबेरिया और अफगानिस्तान में पायी जाती हैं |
प्रोजेक्ट टायगर
यह भारत सरकार के द्वारा चलाया गया अभियान हैं | इस अभियान की शुरुवात बाघों की संख्या को बनाए रखने और उन्हें सुरक्षित रखेने के लिए की हैं | प्रोजेक्ट टायगर इस अभियान की शुरुवात सन १९७३ में बाघों की संख्या विलुप्त होने से बचाने के लीये की गयी थी |
निष्कर्ष:
बाघ यह हमारा राष्ट्रीय पशु हैं और हमारे देश की शान हैं | कई लोग इसकी शिकार करने के कारण उसकी प्रजाति नष्ट होती जा रही हैं | हर किसी को बाघ को बचाने के लिए प्रयास करना जरुरी हैं और बाघ की रक्षा करनी होगी |