प्रस्तावना
‘भारत की बेटी और अंतरिक्ष की प्रसिद्ध परी’ कल्पना चावला अंतरिक्ष में यात्रा करनें वाली भारत की पहली महिला वैमानिकी अभियन्ता थी | कल्पना चावला सिर्फ एक साधारण भारतीय लड़की थी, अपनें असाधारण साहस और महत्वाकांक्षा के साथ, अपनें सपनों का पालन करनें और सफल होने में कड़ी मेहनत करनें के लिए प्रोत्साहन के स्रोत बन गई | उन्होंने कड़ी मेहनत और दृढ़ आत्मबल के कारण अंतरिक्ष में अपना छाप छोड़ गई है |
कल्पना चावला का जीवन और शिक्षा 
कल्पना चावला का जन्म १ जुलाई १९६२ को हरियाणा राज्य में स्थित छोटे से करनाल शहर में हुआ था | उनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और माता का नाम संज्योती चावला था |कल्पना चावला की प्रारंभिक शिक्षा करनाल के स्कूल टैगोर बाल निकेतन स्कूल में संपन्न हुई |
इसके बाद कल्पना चावला अपनी उच्च शिक्षा १९८२ में चड़ीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से डिग्री हाँसिल करके वह संयुक्त राष्ट्र अमेरिका चली गई और वहाँ १९८४ में टेक्सास विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष वैमानिक अभियन्त्रिक में विज्ञान निष्णात की उपाधि प्राप्त की | इस विषय में १९८८ में कोलोराडो विश्वविद्यालय से अंतरिक्ष संस्था नासा से जुड़ी |
कल्पना चावला फ्लूइड डायनमिक्स के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अनुसन्धान किया | कल्पना चावला हवाई जहाजों, ग्लाइडर व्यवसायिक विमानचालक के लाइसेंस के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्जा प्राप्त की थी | कल्पना चावला का विवाह २ दिसंबर १९८३ में ज्यां पियरे हैरिस के साथ हुआ था | वह अपनें पति से प्रेरणा लेकर उनकी रुचि अंतरिक्ष की और अधिक बढ़नें लगी थी |
कल्पना चावला का करियर 
कल्पना चावला का करियर नासा एम्स में फ्यूड डायनामिक शोध के केंद्र से हुई थी | वहाँ पर उन्होंने शोध वैज्ञानिक के रूप में काम भी किया था | कल्पना चावला एक प्रमाणित उडान प्रशिक्षक थी | उन्हें बचपन से ही अंतरिक्ष के मॉडल और चित्र बनाना बहुत पसंद और अंतरिक्ष पर जानें का संकल्प था |
लाइसेंस बनवानें के बाद कलाबाजी उड़ान भी सीखी थी | कल्पना चावला को कड़ी परिश्रम करनें के बाद १९९४ में उन्हें अंतरिक्ष के उड़ान के लिए चुना गया था | १९९७ में उड़ान STS-87 में उनका पहला अंतरिक्ष मिशन था |
उन्होंने अंतरिक्ष यान में उस मिशन पर 10.4 करोड़ मिलियन की दुरी तय की और 80 प्रयोग पुरे किये, उन्होंने अंतरिक्ष यान में दो सप्ताह में पृथ्वी की २५२ कक्षाओं में ३६०से अधिक घंटे बिताए थे | जहाज पर रहते हुए, वह स्पार्टन सैटेलाइट की खराबी को दूर करनें के लिए प्रभारी थी | कल्पना चावला एक मिशन विशेषज्ञ का दर्जा प्राप्त किया | पहली उड़ान को सफल करनें के बाद उनके चेहरे पर ख़ुशी झलक रही थी |
कल्पना चावला की मृत्यु
कल्पना चावला को कोलंबिया की उड़ान के लिए चुना गया | १६ जनवरी २००३ में अंतरिक्ष गई थी, इस उड़ान में उनके साथ छह वैज्ञानिक यात्री भी थे | कल्पना चावला दूसरी उड़ान में ७६० घंटे बिताये थे औए पृथ्वी की २५२ चक्कर काटे थे | १ फरवरी २००३ को अंतरिक्ष से वापस लौटते समय विमान दुर्घटनाग्रस्त होनें से उनकी मृत्यु हुआ |
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