प्रस्तावना:
जल जिसे विज्ञान की भाषा में (H2O) कहा जाता है, संपूर्ण पृथ्वी पर जितने भी संसाधन स्थित है उनमें से एक संसाधन जल भी है जिसे हम मनमानी उपयोग में लाते हैं| “ जिसके अभाव से हम एक दूसरे से झगड़ने पर उतारू हो जाते हैं, आज संपूर्ण धरती पर केवल 100% का 71% जल से घिरा हुआ भाग है जोकि खारा है और पीने योग्य नहीं है ” और केवल पेयजल 29% ही स्थित है जोकि एक बहुत बड़े संकट को न्योता देने का कार्य कर रहा है
जल का महत्व
जल सभी प्राणियों तथा पशु पक्षियों को जीवन प्रदान करने का कार्य करता है जल ईश्वर का दिया हुआ मानव जाति के लिए अर्थात संपूर्ण सृष्टि के लिए एक अमूल्य वरदान के रूप में उपहार है पृथ्वी ही एक ऐसी ग्रह है | जहा पर जीवन और जल लाखों वर्षों से पृथ्वी पर स्थित है| यह सभी प्राणी जानते हैं की जल के बिना हम ७ दिनों से अधिक नहीं रह पाएंगे यह तो मनुष्य का आंकड़ा है किंतु पशु पक्षी प्राणी यह लोग इतना भी जीवित नहीं रह सकते अतः हमें जल की महत्वता को समझना चाहिए और इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए|
जल प्रदूषण पर रोकथाम हेतु कार्य
जैसे ही ग्रीष्म ऋतु का प्रारंभ होता है हम एक दूसरे से झगड़ने लगते हैं जल के विषय में यदि हम जल संरक्षण को जरूरी नहीं समझेंगे तो बढ़ते हुए जल प्रदूषण पर रोकथाम करने का कोई लाभ भी नहीं होगा| हम जब भी कभी बड़े-बड़े होटलों तथा रेस्टोरेंट मैं भोजन करने के लिए जाते हैं तब हमेशा वहां के नल खुले छोड़ देते हैं, जैसे ही हमारा काम हो जाता है वैसे ही हम निकल जाते है| जल दूषित होते रहता है, तो यदि हम सोचे हर क्षेत्र में पाए जाने वाले जल आज नहीं कल तो हमारे लिए ही उपयोगी साबित होंगे तो हम इस पर रोकथाम करने में सक्षम हो सकते हैं|
जल संरक्षण के विभिन्न उपाय
यदि मनुष्य जाति यह ठान ले की, हमें जल का दुरुपयोग नहीं करना है अर्थात उसे संयोजित करके रखना है भविष्य के लिए तो लाखों उपाय सामने आ जाएंगे जैसे कि नदी, नाले, झरने तथा नहरों में बर्तन पशु पक्षी कपड़े आदि ना धोना इससे हमारे आस-पास के वातावरण में स्थित जो जल है| वह दूषित नहीं होगा और जब पशु पक्षी उस जल का उपयोग करेंगे वह बीमार नहीं पड़ेंगे ऐसे उनकी वृद्धि होगी| जल संरक्षण को ध्यान में ना रखते हुए उद्योगपति है अपने कारखानों से रसायनयुक्त दूषित जल नदी नाले तालाब जैसे जल भंडार मैं आसानी से छोड़ देते हैं जिसका प्रभाव हमारे दैनिक जीवन पर पड़ता है
निष्कर्ष:
जल की बचत हेतु उठाने जाने वाले सबसे अहम और महत्वपूर्ण कदम यदि जल्द से जल्द नहीं उठाया गया तो 2050 तक पृथ्वी का विनाश होने में कोई संदेह नहीं है क्योंकि एक शोध में यह पाया गया है तृतीय महायुद्ध जब होगा तो वह केवल जल तथा पिया जल के कारण ही होगा| हम सभी को जल संरक्षण से यह ज्ञात होता है की समय रहते हैं यदि जल प्रदूषण तथा जल संरक्षण पर काबू नहीं पाया गया तो ग्रह पर से जीवन नामक शब्द विलुप्त होने लगेगा |