प्रस्तावना:
जल की बचत करना यह सभी प्राकृतिक जीवों को जीवित रखने के लिए अति आवश्यक होता हैं, और उस जल को हम विज्ञान की भाषा में H2O कहते हैं|
जल ईश्वर का दिया हुआ एक सुंदर तथा अमूल्य उपहार हैं, जो कि हमारे जीवन के लिए अति लाभकारी सिद्ध हुआ हैं| और पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह हैं,जहाँ पर जल उपलब्ध हैं, और जल है,तो कल हैं|
जल का महत्व
पृथ्वी पर निवास करने वाले सभी सजीवों के लिए अत्यंत आवश्यक द्रव्य जल को माना गया हैं, हमारी पृथ्वी को नील ग्रह भी कहा जाता हैं|
पृथ्वी पर ही एकमात्र जल की उपलब्धि पाई गई हैं, आज संपूर्ण संसार में पृथ्वी पर 100% का 75% भाग जल से घिरा हुआ हैं बचा 25% भाग में से केवल 2% भाग में मीठा/पेयजल उपलब्ध हैं|
जल की महत्व को ना समझ कर उसका दुरुपयोग लगातार करने से जल की आपूर्ति हो सकती हैं, जोकि हम मानव जाती के लिए एक संकट का विषय बनता जा रहा हैं|
सबसे अधिक जल में भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य में देखने को प्राप्त होता हैं वही पर गंगा,यमुना,रामगंगा घाघरा और कावेरी आदि नदी का उदगम होता है, और ये जल पीने योग्य मीठा भी होता हैं |
जल संरक्षण
हम सदैव से यह देखते आ रहे हैं कि जल संरक्षण की बात हर जगह पर होती हैं, किंतु जल संरक्षण का कार्य असल जीवन में कभी नहीं होता जल संरक्षण का कार्य सभी को नहीं भाता हां कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ पर जल संरक्षण के कार्य को प्राथमिकता दिया जाता हैं |
जैसे कि राजस्थान, ईरान, इजरायल आदि जगहों पर जहां की जल की कमी हैं, वहाँ पर इन देशों में से तेल खनिज के बदले पानी का अदान प्रदान भी करते हैं|
साधारण शब्दों में कहे तो, जीवन की आजीविका संतुलित करने हेतु जल संरक्षण अति आवश्यक हो गया हैं, धरती पर पीने योग्य जल के कमी के कारण जल संरक्षण पर जल्द से जल्द लोगों में जागरूकता पहुँचानी होगी|
जल संरक्षण के उपाय
जिस प्रकार से गांवों में लोग खेतों की सिंचाई हेतु नदी तालाब कुएं में जल को संचित कर सिंचाई का कार्य करते हैं|
ठीक उसी प्रकार से हम पढ़े लिखे व्यक्तियों को भी यह समझना होगा की शहरों में भी रहकर हमें जल का उपयोग पीने,धोने तथा साफ सफाई के लिए पाइप से ना करके बाल्टी से करना चाहिए|
हमें घरों के नल चालू नहीं छोड़ना चाहिए, जिससे पानी का दुरुपयोग होता रहे हैं यही कारण हैं, की हमें जब जल की जादा आवश्यकता होती हैं तब हमें जल प्राप्त नहीं हो पाता हैं |
यहां तक की सौछ के बाद लोग नदी की ओर ही बढ़ते हैं, यदि हम सभी इस पर रोकथाम करने में सक्षम हो गए तो जल संरक्षण किया जा सकता हैं| और इन्हीं उपायों द्वारा यह मुमकिन भी हैं |
निष्कर्ष:
यदि हम जल संरक्षण के लिए परिपूर्ण रूप से जागरूक होंगे तो जल के दुरुपयोग पर रोकथाम करने के लिए हमें सर्वप्रथम अपने आसपास से ही शुरुआत करना होगा |
हमें स्वयं के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी स्वच्छ जल की प्राप्ति करानी चाहियें, जो की हमारा नैतिक अधिकार हैं |