प्रस्तावना:
नदी यह एक प्रकृति का घटक हैं | नदी को जल का स्त्रोत कहा जाता हैं | नदी हर किसी के जीवन में जरुरी होती हैं | नदी यह इस धरती पर रहने वाले हर एक सजीव का जीवन बचाती हैं | लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ और सुख – सुविधाओं के लिए इस नदी को प्रदूषित करता हैं | हमारे देश में बहुत सारी नदिया हैं | जैसे की गंगा, यमुना, सिंधु, गोदावरी, नर्मदा यह सभी सबसे विशाल नदियाँ हैं |
नदी के नाम
नदी के बहुत सारे नाम होते हैं | जैसे की सरिता, प्रवाहिनी, तटिनी, नहर, क्षिप्रा इत्यादि |
सरिता –
यह नदी जब सरक – सरक पर चलती हैं, उसे ‘सरिता’ कहा जाता हैं |
प्रवाहिनी –
यह नदी हमेशा प्रवाहमय होकर चलती हैं, उसे ‘प्रवाहिनी’ कहा जाता हैं |
तटिनी –
यह नदी जब दो तटों के बीच में से बहती हैं तो उसे ‘तटिनी’ कहा जाता हैं |
क्षिप्रा –
यह नदी जो तेज गति से बहती हिन् तो उसे ‘क्षिप्रा’ कहते हैं |
नदी का जन्म
मै एक नदी हु और मेरा जन्म इस पर्वतमालाओं की गोद से हुआ हैं | मै बचपन से ही बहुत चंचल थी | मैंने अपने जीवन हमेशा आगे बढाना सिखा हैं बल्कि रुकना नहीं सिखा |
मै हमेशा आगे बढ़ने का कार्य करती हूँ | मुझे एक पल के लिए रुकना भी नहीं आता हैं | मेरा कार्य धीरे – धीरे या तेजी से बहना लेकिन मैं हमेशा बहती रहती हूँ |
मैं अपने कार्य पर हमेशा विश्वास रखती हूँ | लेकिन कभी भी किसी से फल की अपेक्षा नहीं करती हूँ | मैं अपने जीवन में बहुत खुश रहती हूँ | मैं हर एक सजीव प्राणी के काम आती हूँ |
नदी का निवास
पर्वतमाला ही मेरा घर होता हैं | मैं वाहन पर हमेशा के लिए नहीं रहती हूँ | मेरे बहने की गति कभी तेज तो कभी धीमी हो जाती हैं | मैं कभी – कभी संकरी तो कभी चौड़ी होती हूँ | मुझे बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं |
मैं जब बहती हूँ तब मेरे रास्ते में बहुत सारी रूकावटे आती हैं | कभी – कभी मुझे पत्थर, कंकर, तो कभी चट्टान का सामना करना पड़ता हैं | लेकिन मैं कभी रूकती नहीं हूँ | निरंतर बहती रहती हूँ |
मनुष्य के लिए उपयोगी
मै मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी हूँ | मै पर्यावरण का संतुलन भी बनाके रखती हूँ | मेरे ही जल का उपयोग मनुष्य अपने जीवन में करता हैं |
मेरे पानी से बिजली भी तैयार की जाती हैं और बिजली के द्वारा मशीन के सहायता से बहुत सारे काम किये जाते हैं |
मेरे जल से खेती भी की जाती हैं | मेरा जल पद्शु – पक्षियों के लिए भी बहुत उपयुक्त होता हैं | मेरे जल के कारण पेड़ – पौधों, पाशी – पक्षियों में जान आ जाती हैं |
निष्कर्ष:
मै सभी लोगों से अंत में यही कहना चाहती हूँ की, मुझे किसी भी प्रकार से प्रदूषित मत कीजियें | मुझे हमेशा साफ – सुथरा रखे जिससे कारण मैं सतत बहती रहूँ और सभी को जीवन दान देती रहूँ |