प्रस्तावना :
भारत देश में विभिन्न प्रकार के पर्व मनाये जाते हैं, जिसमे से आज हम रक्षाबंधन के पर्व के बारे में जानेंगे| रक्षा बंधन मुख्य रूप से भाई-बहन के प्रेम को दर्शाता हैं | और भारत एक धार्मिक देश होने के नाते इस पर्व को गुरु-शिष्य के परंपरा का प्रतिक भी माना जाता हैं|
रक्षा बंधन की कथा
रक्षा बंधन का पर्व श्रावण माह के पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला पर्व हैं, श्रावण मास में ऋषिगण नामक एक ऋषि देव महाराज के आश्रम में रहकर अद्ययन और यज्ञ ताप किया करते थे|
और श्रावण महीने के पूर्णिमा को यज्ञ की पूर्ण रूप से आहुति के पश्चात् यजमानो और शिष्यों के सम्मान हेतु एक दुसरे को रक्षा-सूत्र कलाई पर बांधने की प्रथा हुआ करता था | और इसी मात्र एक कारण से इस प्रथा को रक्षा-बंधन के नाम से प्रचलित किया गया|
और भारत में इस प्रथा को पूर्ण रुप से कायम रखने हेतु भारत के ब्राम्हण आज भी इस प्रथा के तहत अपने यजमानो को रक्षा-सूत्र कलाई पर बंधते हैं | और समय चक्र जैसे-जैसे घुमने लगा वैसे-वैसे रक्षा-सूत्र को रक्षाबंधन के नाम से जाना जाने लगा|
अतः इस रक्षा सूत्र को भारत में जब भी कोइ ब्राम्हण बंधता है, तब इस मन्त्र का संस्कृत में उच्चारण अवश्य करता हैं
रक्षा बंधन पर्व मानाने की विधि
रक्षाबंधन के पर्व के समय विवाहिक बहने अपने ससुराल से अपने मइके अपने भाई बहन और माता-पिता से मिलने चली आती हैं, जिसके कारण उन्हें बड़ी ही ख़ुशी मिलती हैं, इस दिन कई ब्राम्हणों के घर एक विशेष प्रकार का यज्ञ तथा पूजा का आयोजन होता हैं |
और इस दिन का विशेष महत्व केवल दान हैं | हमारे देश में रक्षा बंधन के पर्व के दिन भाई अपनी बहन की रक्षा हेतु उससे वचन करता हैं, और बहन इस वचन को निभाने के लिए अपने भाई के हाथो पर रक्षा सुत्र बंधती है, और उस भाई का दिया और आरती थाली से आरती के बाद अपने भाई का मुहँ मिठाइयो से भर देती हैं, और उनसे उपहार की आशा करती हैं, कुछ लोग उपहार में पैसे देते है|
तो कुछ लोग वस्त्र आदि उपहारों का आदान प्रदान करते हैं| रक्षा बंधन के पर्व में लोगों के घरो में सब्जी पूरी, गुझिया ,पकोड़े, कचोरी, खीर आदि पकवान बनाते है, जिसका सम्पूर्ण परिवार आनंद लेते हैं |
निष्कर्ष :
हमारे देश में मनाये जानेवाले प्रत्येक त्यौहार हमारे देश के सभ्यता और संस्कृति की पहचान है, हम सभी भारत वासी को अपने देश के सभी त्योहारों पर गर्व हैं|
किंतु आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो बेटियों को लिंग निर्धारित करके गर्भ में मारदेते हैं| जिसके कारण कितने लोगों के घरो में भाइयों के कलाई पर रखी नहीं बांधी जाती, और कलाई सुनी पड़ी रहती है |
अतः समाज में हमें रक्षा सूत्र से यह सिख मिलती हैं, की यदि बहन ही नहीं होगी तो हम रक्षा बंधन का पर्व नहीं मना पाएंगे, हम सभी लोगो को अपनी बहनों को खुश रखना चाहिये |