प्रस्तावना :
वर्षा ऋतू भारत के अनेको ऋतुओं में से एक मनमोहक ऋतू माना जाता हैं, यह ऋतू भारत में अंग्रेजी पत्रिका के जून महीने से प्रारंभ होती हैं|
और सितम्बर महीने में अंत तक कायम रहती हैं| भारत देश जैसे की पर्वो का देश भी माना जाता हैं| और इसी कारण वर्षा ऋतू में भी विभिन्न त्यौहार इससे जुड़े हुए होते हैं|
वर्षा ऋतू यह गर्मी के बाद आता हैं, और इसी कारण लोग इस ऋतू का प्रारंभ से ही आनंद प्राप्त कर लेते हैं |
वर्षा ऋतू का वर्णन
भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण धरती पर, जब से ग्लोबल वार्मिंग की मात्र में बढ़ोत्तरी पायी गयी हैं, तब से प्राक्रतिक असंतुलित भी हुआ हैं, और इसी कारण से वर्षां कभी समय पर तथा कभी देर से होती हैं |
किसान को बारिश के पहला बूंद की आस भीषण गर्मी से ही होती हैं, और इसी कारण से खरीफ की प्रत्येक फसले अच्छी तरह से विकसित हो पाती हैं|
वर्षा ऋतु प्रकृति का प्रदान किया हुआ एक अद्भुत ऋतू हैं, जो की धरती पर रहने वाले सभी प्राणियों को अच्छी लगती हैं| बारिश की पहली बूंद जब कड-कडाती धरती पर पड़ती हैं, तब मानो की तपती हुई धरती को, सुकून मिलाता हैं|
और यही कारण से धरती पर गिरने वाली पहली बूंद की खुशबु भी बहुत सौंधी तथा अद्भुत होती हैं| वर्षा ऋतू में जहां तक हमारी नजर जाती हैं, वहाँ तक केवल हरयाली और जल ही दिखाई देता हैं| वर्षा का सही से आनंद तो अपने गाँव में ही मिलाता हैं |
वर्षा ऋतु के लाभ
वर्षा यदि समय तथा समय से पूर्व हो जाये तो मानो की किसानो के लिए खुशियों का बहार आ जाता हैं| किसान जिस फसल की गर्मी में ही बुआई कर सिंचाई हेतु जल की अपेक्षा करता है, और वर्षा होते ही किसान को भगवान इंद्र देव जो की वर्षां के देव हैं, उन्हें नमन करता हैं |
वर्षा ऋतु में हमें मौसमी फल आम और मौसमी सब्जियां परवल, सुरन, टिंडे आदि प्राप्त होते हैं| वर्षा ऋतू में लोग सावन माह में भगवन शिव जी को जल चढ़नेके लिए जाते हैं| और बड़े ही आनंदमय तरीके से बारिश में भीगते हुए बम बोल के नारे के साथ पद यात्रा करते हैं |
वर्षा ऋतू के हानि
यूँ तो वर्षा ऋतु अपने साथ साथ नेए-नेए खुशियाँ लाता हैं| किंतु कभी – कभी पर्यावरण के असंतुलन होने के कारण कही – कहीं पर अत्यधिक वर्षा हो जाती हैं, जिसके कारण धरती वासियों को बहुत बड़ी संकट का सामना करना पड जाता हैं |
और यही एक मात्र घटना नहीं हैं, जब अधिक वर्षा होती हैं तब जगह-जगह पर जल भराव की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं| फल, फुल सब्जिय तथा लकड़ियाँ में सडन की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं | लोगों में भुखमरी, मलेरियां, डेंगू, खांसी, सर्दी आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं, और इससे हमारे देश की आर्थिक स्थिति निचे गिरने लगती हैं |
निष्कर्ष :
ऋतू चाहे कोई भी हो हमें सभी ऋतुओं के महत्व को समझते हुए उसका तहे दिल से स्वागत करना चाहिये और यही प्रकृति का नियम भी हैं |