प्रस्तावना:
झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई इनका नाम सबसे अमर हैं | रानी लक्ष्मीबाई कभी भी मुसीबत से डरी नहीं उन्होंने हिम्मत से सभी मुसीबतों का सामना किया | अपना हेतु प्राप्त करने के लिए वह हमेशा आत्मविश्वासी, स्वाभिमानी और धर्मनिष्ठा होना बहुत जरुरी होता हैं |
रानी लक्ष्मीबाई इनका जन्म
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई इनका जन्म १९ नवम्बर, १८३५ को काशी में हुआ था | इनके पिता का नाम मोरोपंत था और माता का नाम भागीरथी बाई था | रानी लक्ष्मीबाई को बचपन से ‘मनुबाई’ बुलाते थे |
रानी लक्ष्मीबाई इनका जीवन परिचय
सन १८५० में रानी लक्ष्मीबाई का विवाह गंगाधर राव के साथ हुआ था | जो झाँसी के राजा थे | सन १८५१ में लक्ष्मीबाई को पुत्र हुआ लेकिन चार महीने के बाद उसका निधन हो गया | गंगाधर राव को इस बात का बहुत सदमा पहुँचा | २0 नवम्बर १८५३ को उनका निधन हो गया |
अपने पति का निधन होने के बाद भी मनुबाई घबराई नहीं | गंगाधर राव ने अपने जीवनकाल में दामोदर राव को अपना दत्तक पुत्र माना था | और अंग्रेज सरकार को सुचना भी दी थी |
लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस पुत्र का स्वीकार नहीं किया और झाँसी को अंग्रेज राज्य मिलाने की घोषणा कर दी | लेकिन रानी लक्ष्मीबाई इस बात से सहमत नहीं थी | उन्होंने कहाँ की ‘मै अपनी झाँसी नहीं दूंगी’ | और ७ मार्च, १८५४ को झाँसी पर अंग्रेज सरकारने अधिकार प्राप्त किया |
अंग्रेजों के साथ संघर्ष
रानी लक्ष्मीबाई ने सात दिन तक अपनी झाँसी की रक्षा की और अपनी सेना के द्वारा अंग्रेजी सरकार से मुकाबला किया | रानी लक्ष्मीबाई यह अंग्रेजों के साथ संघर्ष कर रही थी |
वो अकेले ही दामोदर राव के पीछे घोड़े पर सवार हो गयी और युद्ध करते समय रानी लक्ष्मीबाई का घोडा बुरी तरह से घायल हो गया और उसे वीरगति प्राप्त हो गयी | उसके बाद भी रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नही छोड़ी |
रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे इन दोनों ने मिलकर एक योजना बनाई | अंत में नाना साहब, वानपुर के राजा मर्दन सिंह इन्होंने उनका साथ दिया | उसके बाद रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर पर आक्रमण किया और किले पर अपना अधिकार प्राप्त कर लिया | रानी लक्ष्मीबाई इनको १८ जून, १८५८ को वीरगति प्राप्त हो गयी |
निष्कर्ष:
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई वास्तविक में एक आदर्श वीरांगना थी | उन्होंने सन १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में सहभाग लिया था |
अंग्रेजों के इस संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाली योद्धाओं में से रानी लक्ष्मीबाई का नाम महान वीरता के रूप में लिया जाता हैं |