प्रस्तावना :
गरीबी संसार के और समाज के सबसे बड़े समस्याओं में से एक है | यह किसी भी व्यक्ति के लिए अधिक निर्धन होने की स्थिति है | भारत में गरीबी एक व्यापक स्थिति है | देश की आजादी के बाद से ही गरीबी एक बड़ी चिंता बनी हुई है |
गरीबी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है – जो अपने रोटी-रोजी और रहने के लिये छत इकठ्ठा नहीं कर पाता है और उसके जीवन में छत, भोजन, कपड़ा, दवाइयां जैसी महत्वपूर्ण चीजों की कमी आने लगती है | गरीबी उसे भूखे रहने के लिये और उचित अधिकारों के लिये मजबूर करती है |
गरीबी एक ऐसी ज्वलंत समस्या है जिससे भारत ही नहीं बल्कि अधिकांश विकासशील देश ग्रसित है | देश में गरीबी के अनेक कारण हैं और समाधान भी है | लेकिन समाधानों का पालन करने के लिये भारतीय नागरिकों में उचित एकता की कमी के कारण गरीबी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है |
किसी भी देश में महामारी रोगों का प्रसार गरीबी का कारण है क्योंकि गरीब लोग अपने स्वास्थ्य की स्थिति का ध्यान नहीं रख सकते हैं | भारत की आधुनिक युग में गरीबी देश में एक लगातार बढ़ता हुआ खतरा है |
भारत देश में १.२६ अरब जनसँख्या की २५% से भी अधिक अभी भी गरीबी रेखा के निचे रहते हैं | गरीबी के कई चेहरे हैं जो व्यक्ति, स्थान और समय के अनुसार बदलते रहते हैं | इसलिए इसे अनेक तरीकों से परिभाषित किया जा सकता है | जो एक व्यक्ति अपने जीवन में जीता है और महसूस करता है |
गरीबी के अनेक कारण हैं, जैसे की अत्यधिक जनसँख्या, जानलेवा और सक्रामक बीमारियाँ, प्राकृतिक आपदा, काम कृषि पैदावार, बेरोजगारी, जातिवाद, निरक्षरता, लौंगिक असमानता, पर्यावरणीय समस्याएँ देश में अर्थव्यवस्था की बदलती प्रवृति, अस्पृश्यता, प्रायोजित अपराध, भ्रष्टाचार प्रोत्साहन की कमी, अकर्मण्यता, प्राचीन सामाजिक मान्यताएँ आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है |
गरीबी का भ्रामक जाल बन जाती है जो धीरे-धीरे समाप्त होती है | किसी एक परिवार के सभी सदस्यों के लिए अत्यधिक गरीबी मृत्यु के ओर ले जाती है | गरीबी लोगों को डॉक्टर के पास जानें के लिए, शिक्षा के लिए, वक्त की दो रोटी मिलने तथा कपडे खरीदनें के लिए, नौकरी के लिए और छत के लिए असमर्थ बनाती है |
भारत कृषि प्रधान देश है, यहाँ लगभग ८०% लोग कृषि पर ही निर्भर हैं | लेकिन हमारी कृषि ख़राब तरीके से हैं | किसान, गरीब और निरक्षर हैं वे खेती के आधुनिक तरीकों को नहीं जानते हैं | उनके पास सिंचाई की कोई अच्छी सुविधाएँ नहीं हैं, उन्हें समय में बढ़ती आबादी कृषि में इस्तेमाल की जानें वाली गलत तकनीक की समस्या को बढ़ाती है |