प्रस्तावना:
मनुष्य के जीवन में परोपकार का विशेष महत्व होता हैं | इस पुरे संसार में परोपकार से बढ़कर कोई धर्म नहीं हैं | परोपकार प्रकृति के कण – कण में समाया हुआ हैं |
जिस तरह से वृक्ष अपना फल नहीं खाते हैं, नदी अपना पानी नहीं पीती हैं और सूर्य हमें रोशनी देकर चला जाता हैं | वैसे ही प्रकृति से मनुष्य को बहुत सारी चीजे मिलती हैं | लेकिन उसके बदले में वो मनुष्य से कुछ नहीं मांगती हैं |
परोपकार की परिभाषा
परोपकार यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हैं – पर + उपकार | परोपकार का अर्थ होता हैं दूसरों का भला करना या दूसरों की सहायता करना |
जब मनुष्य अपने इच्छाओं को दूर रखकर दूसरों के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करता हैं, उसे ‘परोपकार’ कहा जाता हैं | परोपकार रखना यह मनुष्य का स्वाभाविक गुण होता हैं | जो समाज दूसरों की सहायता करता हैं, वो समाज हमेशा सुखी और समृद्ध होता हैं |
परोपकार का महत्व
परोपकार का जीवन में सबसे ज्यादा महत्व होता हैं | प्रकृति का कण – कण परोपकार की शिक्षा देता हैं | अगर मनुष्य अपने जीवन में परोपकार की भावना नही रखता हैं तो उसका जीवन पशु के समान होता हैं |
परोपकारी व्यक्ति का जीवन आदर्श होता हैं | जो व्यक्ति परोपकार करता हैं उस व्यक्ति का समाज में सम्मान किया जाता हैं | बहुत सरे महान पुरुषों ने अपने परोपकार के ताकद पर यह प्राप्त किया हैं |
परोपकार एक मानव धर्म
परोपकार मनुष्य का धर्म हैं | भूखे को अन्न देना, प्यासे को जल देना और बूढ़े – बुजुर्ग लोगों की सेवा करना मनुष्य का परम धर्म हैं |
परोपकार की वजह से मनुष्य की पहचान भी होती हैं | इसी प्रकार से सच्चा मनुष्य वाही होता हैं, जो दूसरों के लिए अपना सर्वस्व देने के लिए तत्पर होता हैं |
परोपकार के फायदे
परोपकारी मनुष्य के मन में द्वेष और ईर्ष्या की भावना नही होती हैं | परोपकारी मनुष्य खुद का विचार न करता दूसरों के सुख – दुःख में सहभागी नहीं होता हैं | प्रकृति मनुष्य को निस्वार्थ रहना सिखाती हैं और दूसरों का भला करना भी सिखाती हैं |
समाज में महत्व
परोपकार समाज के लिए भी बहुत जरुरी होता हैं | परोपकार के बिना समाज का विकास नही हो सकता हैं | जिस व्यक्ति के मन में परोपकार की भावना होती हैं | उस मनुष्य का जीवन सुखमय होता हैं | उस व्यक्ति का आदर और सम्मान किया जाता हैं |
निष्कर्ष:
हर एक व्यक्ति को अपने मन में परोपकार की भावना रखनी चाहिए और दूसरों की सहायता करनी चाहिए | हमें अपने मन में हिन की भावना नहीं रखनी चाहिए |
मनुष्य को दूसरों के प्रति अपना कर्तव्य निभाना चाहिए | परोपकार यह मानवी समाज का मुलभुत आधार होता हैं |