प्रस्तावना :
निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद २१ के तहत दिया गया जीने का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा है | यह संविधान भाग-तीन के तहत प्रदत्त आज़ादी का हिस्सा है | निजता एक बुनियादी अधिकार है अदालत का ऐलान इस साल के शुरू में देश के एक प्रमुख उद्योगपति ने कहा था की डेटा एक नया प्राकृतिक संसाधन है |
यह उल्लेखनीय है की मौलिक अधिकारों का संविधान के भाग- ३ में अनुच्छेद १२ से ३५ तक वर्णन किया गया है | अनुच्छेद २१ के अनुसार किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और शरीर की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता |
निजता का अधिकार क्या है :
निजता का अधिकार यह हमारे लिये एक आवरण की तरह है | जो हमारे जीवन में होने वाले अनावश्यक और अनुसूचित हस्तछेप से बचाता है | साथ ही यह भी अवगत कराता है, की हमारी सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक मूल्य क्या है |
हम अपने निजता को दुनिया के किस हद तक बाँटना कहते हैं | वह निजता ही है जो हमें यह निर्णय करने का अधिकार देती है की हमारे शरीर पर किसका अधिकार है |
भारत में नागरिकों के निजता के अधिकार पर छिड़ी बहस में सर्वोच्च न्यायालय की नौ जजों की बेंच ने इतना साफ़ किया है |की निजता के अधिकार को बचाने के लिए सरकार को नागरिकों के लिए बाध्यकारी कानून बनाने से नहीं रोका जा सकता |
अंतराष्ट्रीय कानून में भी निजता के अधिकार का प्रावधान है | भारत में कई बार निजता के अधिकार के पक्ष में अपने फैसले सुनाये हैं | अब यह आम कानून या मौलिक अधिकार है | इसे लेकर बहस है की इन दोनों में से सबसे बड़ा अंतर यह है की मौलिक अधिकार के तहत अधिक सुरक्षा मिलती है |
निजता के अधिकार का हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से गहरा संबंध है | २००९ में आधार परियोजना के शुरू होने के कुछ समय बाद २०१३ में कोर्ट में निजता के अधिकार पर बहस शुरू हुई थी | आधार परियोजना निजता के अधिकार का उलंघन कर रही है |
निष्कर्ष :
सुप्रीम कोर्ट का मानना है की लोगों की निजता के अधिकार को परिभाषित करने से लाभ से अधिक हानि हो सकती है | अदालत में इस आशय की दलीलें पेश की गई थी की निजता को सर्वोपरि मानना क्यों गलत है | कोर्ट ने कहा की ‘राइट टू प्राइवेसी’ को एक मूलभूत अधिकार मानने से पहले उसे सही तरह से परिभाषित करना जरुरी होगा |