प्रस्तावना :
दोस्तों आज का हमारा निबंध है मदर टेरेसा पर मदर टेरेसा एक ऐसी महान महिला है जो भारतीय नहीं होते हुए भी उन्होंने हमारे देश को बहुत को बहुत कुछ दिया है |
मदर टेरेसा आज हमारे बिच नहीं है फिर भी उनके द्वारा किया गया कार्य को एक मिसाल की तरह जाना जाता है | मदर टेरेसा एक मिशन के रूप में थी जिन्होनें दुनियाँ को बदलनें के लिए बहुत बड़ा कदम उठाया था |
मदर टेरेसा का जन्म
मदर टेरेसा का जन्म २६ अगस्त, १९१० को मेसिडोनियाँ की राजधानी स्कॉप्जे शहर में हुआ था | मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू था | मदर टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोयाजू था जो एक साधारण व्यवसायी थे और मात का नाम माता द्राना बोयाजू था |
मदर टेरेसा जब ८ साल की थी तब उनके पिता का निधन हो गया उसके बाद उनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी उनकी माता पर आ गया | मदर टेरेसा अपने ५ भाई और बहनो में से सबसे छोटी थी |
जीवन परिचय
मदर टेरेसा को बचपन से ही पढ़ना, प्रार्थना करना और चर्च में जाना बहुत पसंद था | जिसके कारण वे आयरलैंड की संस्था ‘सिस्टर्स ऑफ लोरेटो’ से जुड़ गई थी | मदर टेरेसा १८ साल की उम्र में कोलकाता आयी थी और वहाँ गरीब लोगों की सेवा करने के लिए अपने मिशन को जारी रखी थी |
मदर टेरेसा आयरलैंड गयी और वहाँ अंग्रेजी भाषा सीखी थी और उनके लिए अंग्रेजी भाषा सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि वे ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स के माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं |
मदर टेरेसा के कार्य
मदर टेरेसा अपने जीवन का ज्यादातर समय चर्ष में बिताया करती थी लेकिन उन्होंने यह कभी नहीं सोंचा था की एक दिन नन बनेंगी | मदर टेरेसा कुष्ठरोग से पीड़ित और गरीब लोगों की सहायता करती थी |
भारत में आगमन
मदर टेरेसा भारत में सबसे पहले दार्जलिंग में सेवा कार्य आरंभ किया और अपन पूरा जीवन पीड़ितों, गरीबों और दलित हीन लोगों की सेवा में लगा दिया | उन्होंने कलकत्ता में ६० सेवा केन्द्र खोले थे |
निष्कर्ष :
मदर टेरेसा को मानव सेवा में लगे रहने के कारण उन्हें कई तरह की पुरस्कार मिले | उभें उनकी सेवाओं के लिए ‘सेविकोत्तम’ की पदवी भी दी गई | ५ सितंबर १९९७ में दिल के दौरे के कारण मदर टेरेसा की मृत्यु हो गई |
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