प्रस्तावना:
बाल गंगाधर तिलक यह स्वतंत्रता सेनानी थे | उनकी उग्रवादी चेतना धैर्यवादी, बुद्धि और और अटूट देशभक्ति की वजह से जाने जाते हैं |
उन्होंने सभी भारतवासियों को एकता और संघर्ष के बारे में बताया | और उनको स्वराज्य के लिए एकत्रित कर दिया | बाल गंगाधर तिलक यह एक नेता भी थे और एक महान विद्वान् भी थे |
बाल गंगाधर तिलक जी ने ‘स्वराज्य यह मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है’ और मै उसे लेकर ही रहूँगा यह नारा लगाया था | वो एक विश्वास और स्वतंत्रता रखने वाले महान पुरुष थे |
बाल गंगाधर का जन्म
उनका जन्म १८ जुलाई, १८५६ को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के चिखली नाम के गाँव में हुआ था | बाल गंगाधर तिलक का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था |
उनका पूरा नाम केशव गंगाधर तिलक था | उनके पिता का नाम गंगाधर तिलक और माता का नाम पार्वती बाई था |
तिलक की शिक्षा
उनके पिता अध्यापक थे | उन्होंने तिलकजी को संस्कृत, मराठी और गणित का ज्ञान घर पे ही दिया था | उसके बाद उन्होंने सन १८७३ में डेक्कन कॉलेज में प्रवेश लिया था |
लेकिन कुछ कारण की वजह से वो असफल हो गए | तिलक जी ने सन १८७६ में बी. ए के परीक्षा में पहिली श्रेणी प्राप्त की थी | वो दो बार एम.ए की परीक्षा में असफल हो गए | उन्होंने सन १८८० में न्यू इंग्लिश स्कूल और फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की थी | बाल गंगाधर तिलक यह भारत देश के नेता, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी भी थे |
उत्सव की शुरुवात
बाल गंगाधर तिलक जी ने देश में जनजागृती निर्माण करने के लिए महाराष्ट्र में गणपति उत्सव और शिवाजी उत्सव शुरू कर दिए थे |
उन्होंने इन दो त्योहारों की शुरुवात इसलिए की सभी लोगो में देशप्रेम और अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए साहस भर दिया था |
समाचार पत्र
तिलकजी ने मराठा और केसरी यह दो समाचार पत्र शुरू की | इन संचार पत्रों के द्वारा लोगो के मन में राष्ट्रीय जागृति निर्माण की | उन्होंने भारतियों को ब्रिटिश सरकार के पास उनको सम्पूर्ण स्वराज्य देने की माँग की थी |
कारावास
बाल गंगाधर तिलक के ऊपर ब्रिटिश सरकार ने राजद्रोह का मुकदमा चलाकर उनको छह साल तक मंडाले कारावास में रखा गया था | उन्होंने उस कारावास में रहकर ‘गीतारहस्य’, ‘ओरायन’ और ‘आर्कटिक होम ऑफ़ वेदाज’ इत्यादि ग्रंथ लिखे |
तिलकजी ने अपना पूरा जीवन देश सेवा के लिए त्याग किया | वो हमेशा देश के लिए लढते रहे | उन्होंने देश को स्वतंत्र करने के लिए बहुत कार्य किये | बाल गंगाधर तिलक इनका निधन 1 अगस्त १९२० को मुंबई में हुआ |
निष्कर्ष:
बाल गंगाधर तिलक यह एक महान देशभक्त और नेता भी थे | वो हमेशा भारत देश के लिए संघर्ष करते रहे | इसलिए उनको महान कार्य करने की वजह उनका नाम भारत के इतिहास में आज भी अजर और अमर है |