प्रस्तावना:
हमारे देश में कई लोग त्योहारों पर तो कई लोग ख़ुशी के लिए पतंग उड़ाते हैं | पतंग उड़ाने की कलां यह प्राचीन कलां हैं | यह कलां प्राचीन काल से चली आ रही हैं |
देश के हर कोने – कोने में बच्चे और जवान पतंगबाजी करते हैं | हमारे देश में ज्यादा पतंग बसंत ऋतू में उड़ाए जाता हैं |
इस दिन बहुत सारी पतंग उड़ती है जिसके कारण आसमान पूरा पतंगों से भरा हुआ दिखता हैं | भारत के लोग स्वतंत्रता दिवस पर भी पतंग उड़ाते हैं | सबसे ज्यादा बच्चों के द्वारा पतंग उडाए जाते हैं |
पतंग उड़ाने की प्रथम शुरुवात
ऐसा माना जाता है की, पतंग उड़ाने की प्रथम शुरुवात चीन में हुई थी | चीनी लोगों के द्वारा सबसे पहली पतंग बनाई गयी थी |
पतंग पर कविता
पतंग हवा में उड़ाने वाली एक वास्तु हैं जो धागे के सहारे उड़ती हैं | पतंग यह भारत में इस्तनी प्रसिद्ध हैं की, इन पतंगों पर कई कवियों ने कविताए भी लिखी हैं |
त्योहारों पर पतंग उड़ाना
कई सारे लोग पतंगों को रक्षा बंधन, मकर संक्रांति के अवसर पर उड़ाते हैं | इस दिन पतंग उड़ाना शुभ माना जाता हैं | मकर संक्राति के त्यौहार पर पतंग उड़ाना यह एक सबसे पुराना रिवाज हैं | पतंग हर एक रंगों में देखने के लिए मिलते हैं |
पतंग आज़ादी की ख़ुशी में उडाए जाते हैं | मकर सक्रांति के दिवस पतंग उड़ाना बहुत शुभ माना जाता हैं | इस उसका बहुत ज्यादा महत्व रहता हैं | हमारे देश में आंतर राष्ट्रीय पतंग महोत्सव मनाया जाता हैं |
पतंग कार्य
पतंग यह एक पंख हैं | कच्चे धागे से आसमान में उड़ाया जाता हैं | पतंग को दो समान भाग होते हैं | यह दोनों भाग एक समान होते हैं |
पतंग यह हवा में उड़ाया जाता हैं लेकिन जैसी हवा आती हैं उस तरह से पतंग आसमान को उड़ाया जाता हैं | पतंग आसमान में काफी दूर तक उडाता हैं |
ख़ुशी की भावना
बच्चे जब आसमान में पतंग उड़ाते हैं, तब उनको बहुत ख़ुशी होती हैं | और जैसे ही पतंग निचे आने लगता हैं, तो बच्चे रोने लगते हैं | क्योंकि पतंग उड़ाने पर बहुत ख़ुशी हो जाती हैं और गिरती हुई पतंग दुःख देती हैं |
आसमान में उड़ती हुई पतंग हमें स्वतंत्रता का एहसास दिलाती हैं | जिस तरह से वो आसमान में उडती पतंग स्वतंत्रता का प्रतिक मानी जाती हैं | लेकिन वो एक कच्चे धागे से बंधी हुई होती हैं | पतंग धागे में बंधने के कारण वो आसमान में ऊंचाई तक उड़ती हैं |
निष्कर्ष:
पतंग उड़ाना यह भी एक कला हैं | अगर पतंग की डोर कच्ची होती हैं, तो जमीं पर आके तुरंत गिर जाती हैं | उसी तरह से मनुष्य के जीवन का डोर भरोसे और उम्मीद के सहारे पर चलता हैं |
अगर भरोसा टूट जाता हैं तो उसकी हालत पतंग की तह हो जाती हैं | इसलिए पतंग यह एक जीवन जीने की कला सिखाता हैं |