प्रस्तावना :
विश्व में प्रत्येक स्थान पर तथा भारत वर्ष में जन्माष्टमी केवल भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के समय मनाया जाता है | यह पर्व भारत के आलावा विदेश में भी बड़ी आस्था के साथ मनाया जाता हैं|
पुराणों की माने तो भगवान् श्री कृष्णा युगों से हमारे आस्था और भक्ति का केंद्र बने रहे हैं| और ये मैया यशोदा के प्रिय पुत्र कान्हा ,नन्द गोपाल ,नटखट आदि के नाम से जाने जाते हैं|
जन्माष्टमी मानाने का समय तथा विधि
भगवन श्री कृष्णा का जन्म रक्षाबंधन के तत्पशचात हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जानेवाले त्यौहार है| जन्माष्टमी का त्यौहार सम्पूर्ण महाराष्ट्र में दही हांड़ी के नाम से विख्यात हैं, और लोग इसे बड़े ही उत्साह तथा मनोरंजन के साथ मानते हैं|
इसमें बच्चे तथा युवा पीडी जमकर आनंद लेते है| लोग सर्वप्रथम एक मिटटी की हांड़ी लेते हैं और उसमे दही, पानी, फुल, फल, पैसे आदि को डाल कर अपने से २० गुना ऊंचाई पर रस्सी की सहायता से बांध कर उसे बड़े ही मनोरंजक तरीके सें तोड़ने की कोशीस करते है| और इस प्रकार से इस त्यौहार मनाया जाता हैं |
यह सम्पूर्ण विधि भगवन श्री कृष्ण के द्वारा दही के मटकी तोड़ने के प्रकार सा हैं| इसी प्रकार से इस खेल को खेल कर भगवन श्री कृष्ण को याद करते हैं|
जन्माष्टमी मानने का कारण
श्री कृष्ण वासुदेव और देविका के ८ वें पुत्र थे| श्री कृष्ण का मामा राजा कंस था जो की, मथुरा में स्थित था| जो की बहुत ही दुष्ट तथा अत्याचारी था| अतः उसके अत्याचार से पूरा मथुरा संकट में था राजा की कुर्र्ता के वजह सें वहा के स्थानीय लोग उससे बहुत भयभीत हुआ करते थे|
एक समय की बात है किसी जोतिष द्वारा की गई भविष्यवाणी में यह बात सामने आई की राजा कंस की बहन देविका का ८ वां पुत्र राजा कंस को मृत्यु दंड देगा|
ज्योतिष द्वारा की गई इस भविष्यवाणी ने राजा कंस को बेचैन सा कर दीया| तब राजा कंस ने यह निर्णय किया की अपनी बहन देविका के पति वासुदेव सहित काल कोठारी में डाल दिया|
और जैसे-जैसे देविका और वासुदेव के संतान का जन्म होता वह क्रमशः उन्हें मरता गया| किंतु जब कृष्ण का जन्म हुआ तब तब वासुदेव के स्वप्न में भगवान् विष्णु आये और उन्हें यह आदेश दिया की, तुम कृष्ण को गोकुल धाम में यशोदा मैया और नंद बाबा के यहाँ छोड़ आओ|
जिससे वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रहेगा, अतः श्री कृष्ण का पालन-पोषण यशोदा मैया और नंद बाबा द्वारा किया गया|
इसी प्रकार कृष्ण जब तक अपने बाल्यवस्था से युवावस्था तक अपने कंस मामा से सुरक्षित रहे| अतः इसी ख़ुशी को भारत वासी जन्माष्टमी के रूप में मानते है|
निष्कर्ष :
हमें कभी भी अपने इस्ट देवता के ऊपर से विश्वाश नहीं हटाना चाहियें अतः हम कितनी भी परेशानी में हो हमें उनपर से विश्वास नहीं खोना चाहिए कारण की दुःख तथा सुख दोनों देने वाले हमारे ईस्ट देवता ही हैं| कभी भी समय एक सा नहीं होता है और हमें इसे स्वीकार करना ही होगा |