प्रस्तावना :
पुरातन काल की अधिकांश सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे पर हुआ जो इस बात पर संकेत करती है की जल जीवन की सभी जरुरतों को पूरा करने के लिए केवल आवश्यक ही नहीं बल्कि महत्वपूर्ण संसाधन रही है |
मानव शरीर में दो तिहाई भाग जल की है | धरती पर रहने वाले सभी जीव को जल की आवश्यकता अधिक है | इसलिए कहा जाता है की ‘जल ही जीवन’ है |
जल हमारे जीवन के लिए आवश्यक स्रोत है | जल के बिना मनुष्य, जीव-जंतु या कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता है | केलिन आज के इस युग में जल प्रदुषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है | जिसके कारण अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती जा रही है |
जल प्रदुषण एक गंभीर समस्या बनती जा रही है | जो सभु पहलुओं से मानव और जानवरों को प्रभावित कर रहा है | मानव गतिविधियों के द्वारा उत्पन्न जहरीले प्रदूषकों के द्वारा पिने के पानी का मैलापन ही जल प्रदुषण है |
विज्ञान के इस युग में जहाँ हमें कुछ वरदान मिले हैं वहीँ कुछ अभिशाप भी मिले हैं | जल के आभाव में जीव समुदाय जीवित नहीं रह पाएगा | जल का उपयोग मानव पीने के लिए , नहाने के लिए, खेतों की सिंचाई के लिए तथा घरेलू उपयोग के लिए करता है | इस सभी कार्यो के लिए स्वेच्छा जल की आवश्यकता होती है |
लेकिन आज के समय में कारखानों का दूषित जल, जो की नदी नालों में मिलकर भयानक प्रदुषण उत्पन्न कर रहे हैं | जल के कई स्रोतों के माध्यम से पूरा जल प्रदूषित हो रहा है | जैसे की शहरी अपवाह, कृषि, औद्योगिक, तलछटी, पशु अपशिष्ट और दूसरी जगह मानव गतिविधियां यह सभी प्रदूषक पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं |
अनेक प्रकर की मानव क्रियाकल्पों से उत्पादित कचरा पुरे पानी को ख़राब करता है | जल में ऑक्सीजन की मात्र को कम करता है | ऐसे प्रदूषक जल की भौतिक, रासायनिक, थर्मल और जैव-रासायनिक, विशेषता को कम करते हैं |
जब हम प्रदूषित जल पीते है तो हानिकारक रसायन और दूसरे प्रदूषक शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं, और हमारे जीवन को खतरे में डाल देते हैं |ऐसे हानिकारक रसायन पशु-पौधों के जीवन को प्रभावित करते हैं | प्रदूषित जल जब पेड़-पौधों में डाला जाता है तो पेड़-पौधे सुख जाते हैं |
जल प्रदुषण का मुख्य करना हमारा उद्योग धंधा है | उद्योगों से निकलने वाला रासायनिक कचरा सीधे नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है | यह कचरा अत्यधिक जहरीला होता है | जो जल को प्रदूषित कर देता है | जिसे नदियों और तालाबों में रहने वाले जीव-जंतु मर जाते हैं |
शहरो और गाँवों से निकलने वाला हजारों टन कचरा नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है | खेती के लिए भी रासायनिक उर्वरकों और दवाइयों का प्रयोग हो रहा है | जल प्रदुषण ने अब आपातकाल का रुप ले लिया है |
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