प्रस्तावना:
पानी जिसे विज्ञान की भाषा में H2O के नाम से जाना जाता हैं, उसी पानी के महत्व को आज समझेंगे| पानी यह एक ऐसा पदार्थ है, जो पृथ्वी जैसे ग्रह पर निवास करने में हमारी सहायता करता हैं |
हमारे पृथ्वी ग्रह पर माता गंगा का वास माना जाता हैं, जिसे भगवन शिवजी का वरदान प्राप्त हैं | अर्थात हम पृथ्वी पर जहाँ भी खनन का कार्य करते हैं, वहाँ पर सर्वप्रथम जल का निकास होता हैं |
पानी का महत्व जीवन में
हमारे जीवन में हम जल का पीने के आलावा और भी कई भिन्न कार्यों के हेतु दिन-प्रतिदिन करते हैं| पानी के अभाव के कारण हम मनुष्य और पशु-पक्षी मृत्यु के कगार पर पहुँच जायेंगे| अर्थात सम्पूर्ण सृष्ठी में सभी जीवित शरीर के लिए पानी अत्यंत आवश्यक हैं|
प्रकृति ने मानव जीवन के गठन में यह बताया गया हैं, की हमें प्रतिदिन 5-6 लीटर पानी का सेवन करना चाहिये तथा नारियो को ज्यादा पानी पीने की आवश्यकता है, यह सीधे उनके शरीर पर प्रभाव डालता हैं|
पानी का जीवन में आयुर्वेदिक महत्व
हमें सुबह नींद से उठने के बाद पानी पीना चाहिये, जो की हमारे पेट की लिए तथा निरंतर अभ्यास के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता हैं| यहाँ तक की आयुर्वेद में यह भी बताया गया हैं|
कीं हमें भोजन के पश्चात तुरंत पानी का सेवन नहीं करना चाहिये, हमारे शरीर के लिए यह बहुत ही हानिकारक हैं|, तभी तो हम किसी भी प्राणी को देखते है तो वे सही में भोजन के तुरंत बाद पानी नहीं पीते हैं, किंतु यह वे भी जानते हैं|
की उनके सेहद के लिए यह उचित नहीं हैं, और यह उन्हें कोई सिखाता नहीं हैं बल्की यह प्राक्रतिक का नियम भी हैं, और यही सत्य भी हैं |
पानी के सेवन का विधि
हमें अक्सर जब प्यास लगती तब हम बिना कुछ सोचे समझे पानी घड घड कर पीजाते हैं| जो की यह उचित तरीका नहीं हैं, इससे हम कभी संकट में भी पड सकते हैं| और यही कारण हैं, की पानी शरीर में अच्छे तरीके से नहीं घुल पाता और गैस तथा मोटापे जैसे रोग का जन्म होता हैं, और समय-समय पर पानी की जाँच हमें करवाना चाहिए यह हमारा पहला कर्तव्य भी हैं |
कभी-कभी पानी में विषैले तत्व भी होते है, जिसे पीने के पश्चात हमारे स्वस्थ पर सीधा बुरा असर पड़ता हैं| तथा हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग का कारण भी बनता हैं | अतः हमें पानी उबाल कर पीना चाहियें जिससे उस पानी में स्थित विषैले तत्व नष्ट हो जाएं|
निष्कर्ष :
पानी जीवन में एक अमृत समान हैं जिसे हमें यु ही बर्बाद नहीं कर सकते हैं, और हमें यह चाहिये की जल धरती पर संचित कर रखना चाहिये | सम्पूर्ण पृथ्वी पर 23 % भाग जमीन हैं, और बाकी 73% पानी से घिरा हुआ क्षेत्र हैं, और वह भी खारा हैं|
किंतु पीने योग्य जल केवल और केवल 3-4 % भाग में स्थित हैं जीसे मीठा जल के नाम से जाना जाता हैं, और यह जल नदी,नहर ,झील,तालाब तथा पहाड़ी इलाको में पाया जाता हैं |