पर्यावरण बचाओ पर निबंध – पढ़े यहाँ Hindi Essay on Save Environment

पर्यावरण का संबंध उन सभी जीवित चीजों से है, जो हमारे आस-पास मौजूद है | इसका होना हमारे लिए महत्वपूर्ण है, इसके अंतर्गत वायु, जल, मिट्टी, मनुष्य, पशु-पक्षी सब आते हैं | प्राकृतिक प्रयावरण मानव जाती के लिए और दुसरे जीवों के लिए एक वरदान है | इस प्राकृतिक संसाधनों में हवा, ताज़ा पानी, सूर्य का प्रकाश, जीवाश्म इंधन आदि आते हैं |

यह जीवन इनके लिए महत्वपूर्ण है, की इनके जीवन की कल्पना भी नहीं किया सकता है | परंतु बढती आबादी के कारण इन संसाधनों का अधिक मात्र में दुरुपयोग हुआ है | इसी प्रकार किसी भी पीढ़ी के लिए इस पृथ्वी पर अच्छा जीवन जीना है, तो हमें पर्यावरण की देखभाल करनी होगी | क्योंकि एक अच्छा पर्यावरण से ही हमारे जीवन का अस्तित्व है |

परंतु मानव पर्यावरण का दुश्मन बनता जा रहा है, वे अपनी कुछ सुख-सुविधाओं के लिए पुरे वातावरण को गन्दा करनें पर तुला हुआ है | बढ़ते प्रदुषण के कारण पर्यावरण लगातार संकट का सामना कर रहा है | भारत के प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छ भारत अभियान के समय पर्यावरण का ख्याल आता है, यदि पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तभी लोग प्रदुषण से बच सकते हैं |

पर्यावरण बचाओ की परिभाषा 

हमारे देश में भारतीय संविधान 1950 में लागु किया गया था | परंतु पुरे तरीके से पर्यावरण से नहीं जुड़ा है | सन 1972 में स्टॉकहोम सम्मेलन में भारत सरकार द्वारा ध्यान पर्यावरण संरक्षण पर गया और सरकार 1976 में संविधान में संसोधन कर नया अनुच्छेद जोड़ा गया था | इन सभी प्राकृतिक संसाधनों के तेजी से ख़त्म होनें के कारण जनसँख्या की वृद्धि और विशेष, कुलीन वर्गों में संसाधनों का बढ़ रहा उपभोग है |

पर्यावरण रोकनें के उपाय 

पर्यावरण को बचानें के लिए हानि पहुँचाने वाली चीजों का कम उपयोग करना चाहिए | जैसे प्लास्टिक बैग, पेड़-पौधे लगाएँ तथा उसकी देखभाल करके उसे पूर्ण रूप से वृक्ष बनाएं | दिन में सुरज की रोशनी से ही काम चलाएँ, छात्र उत्तरपुस्तिका, रजिस्टर या कापी के खाली पन्नों को व्यर्थ नहीं करना चाहिए | कूड़ा-करकट, सूखे-पत्ते फसलों के अवशेष और अपशिष्ट न जलायें |

क्योंकि इससे पृथ्वी के अंदर रहनें वाले जीव मर जाते हैं, जिससे वायु प्रदुषण स्तर में वृद्धि होती है | पानी का प्रतोग करनें के बाद नल को तुरंत बंद कर देना चाहिए, कपडे के थैले इस्तेमाल करना चाहिए | नदी, तालाब जैसे जलस्रोतो के पास कचरा नहीं फेंकना चाहिए क्योंकि कचरा पानी को दूषित करता है | जितना हो सके कम-दूरी तय करनें के लिए पैदल चलना चाहिए या फिर साईकिल का उपयोग करना चाहिए |

आधुनिक युग में मानव प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ कर रहा है | जिसके कारण पर्यावरण का संतुलन लगातार बिगड़ रहा है | पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान में लगनें वाले कारखानों से होता है, क्योंकि कारखानों से निकालनें वाला धुँआ पर्यावरण को लगातार दूषित कर रहा है |

निष्कर्ष 

हमें प्रकृति को हरा-भरा और प्रदुषण रहित करनें के लिए नए पेड़-पौधे लगानें होंगे, पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी होगी |

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Updated: नवम्बर 5, 2019 — 5:53 पूर्वाह्न

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