प्रस्तावना
सदाचार सफलता का मार्ग है | सदाचार के बल पर असीम शक्ति को प्रकट करनें वाला सक्षम मनुष्य, संत और महापुरूष के रूप में माना जाता है | वह अपनें महान कार्यों से वह व्यक्ति महापुरूष कहलाता है, क्योंकि विपत्तियाँ और परिस्थितियाँ प्रायः सभी लोगो के जीवन में आती हैं |
किंतु सदाचारी व्यक्ति इन से कभी विचलित नहीं होता है, और किसी भी विपदा का मुकाबला करनें की क्षमता रखता है | यदि हम सदाचारी होंगे तभी हम ब्रह्मचर्य का पालन कर सकते हैं |
सदाचार का महत्व 
सदाचार का महत्व है उत्तम आचरण एसा आचरण जिसमें सब सत्य हो | सदाचार यह दो शब्दों से मिलकर बना है, सत + आचार | इस शब्दों में सत्य का आचरण की तरफ इशारा किया गया है | मानव जीवन में सद्व्यवहार और सदाचरण का महत्व सबसे बड़ा है, व्यवहार की मृदुता और आचरण की शुचिता से सिर्फ व्यक्ति के अध्यात्मिक का विकास नहीं होता बल्कि मानसिक रूप से भी शांति मिलती है |
सदाचार के प्रभाव 
सदाचारी के चरित्र का प्रभाव उसके समपर्क में आनें वाले लोगों पर ही नहीं बल्कि समाज पर भी पड़ता है | सदाचार का प्रभाव इतना व्यापक और असरदार होता है, की इसके समपर्क में आने के बाद दुष्ट व्यक्ति भी सच्चरित्र बन जाता है | सदाचार द्वारा ही व्यक्ति महान बनता है, विश्व में ऐसे कई प्रसिद्ध व्यक्ति हैं | जैसे गुरू नानक, संत कबीर, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामदास, संत तुकाराम ऐसे व्यक्तियों नें सदाचार का पालन किया है, और सदाचार के पालन से ही महान बने हैं |
सदाचार के गुण 
सदाचार मनुष्य के सम्पूर्ण गुणों का सार है, जो मनुष्य जीवन को सार्थकता प्रदान करता है | इसकी तुलना में विश्व का कोई भी मूल्यवान चीज इसकी तुलना नही कर सकता है | सदाचाररहित व्यक्ति कभी पूजनीय नहीं हो सकता है | क्योंकि सदाचार मनुष्य को पूज्य बनाता है | जैसे गुरुजनों का आदर करना, सत्य बोलना, सेवा करना, किसी को कष्ट नहीं देना, मधुर वचन बोलना, बड़ों का सम्मान करना, विनम्र रहना, दूसरों के कष्ट को निवारण करना आदि जैसे सदाचार के उत्तान और चरित्र गुण हैं |
सदाचारी में सहिष्णुता, क्षमा, संयम, अहिंसा और धैर्य आदि गुण होते हैं | जिसके कारण वह कभी भी तनावग्रस्त नहीं रहता है, और उसके जीवन में सदैव आनंद रहता है | सदाचार का पालन करना प्रत्येकज व्यक्ति के लिए किसी न किसी सीमा तक अनिवार्य होता है |
सदाचार सफल जीवन का आधार है
संस्कृति, सभ्यता और संस्कार माता-पिता को यह आदत बच्चों को बचपन में ही सिखानें का प्रयास करना चाहिए | क्योंकि छोटे पर से सिखाया गया बच्चा बड़ा होकर सफल बनता है | अच्छा स्वभाव, अच्छी आदत, सद्गुण, सदाचार ही उत्कृष्ट जीवन के आधार हैं | इन्हीं गुणों पर जीवन की सरलता और विकास निर्भर होता है |
निष्कर्ष
सफल एवं सार्थक होना जीवन के लिए सदाचारी होना आवश्यक है | अच्छे व्यवहार तथा अच्छे आचरण से अद्भुत और असीम सुख प्राप्त होनें के साथ-साथ आनंद की अनुभूति भी होती है |
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