रबींद्रनाथ टैगोर पर लघु निबंध – पढ़े यहाँ Hindi Essay on Rabindranath Tagore

प्रस्तावना 

महर्षि रबींद्रनाथ टैगोरठाकुर के नाम से जाने जाते थे | वे गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध थे, तथा भारत के महान कवी थे, रबींद्रनाथ टैगोर इन्होने देश को प्रसिद्ध लेखन दिए तथा कालिदास के बाद एक महान कवी थे |

जब रवींद्रनाथ टैगोर १४ वर्ष के थे तभी उनकी माता का मृत्यु हो गया, रबींद्रनाथ टैगोर किताब पढना पसंद नहीं करते थे, नाटककार, चित्रकार, गीतकार तथा स्वतंत्रता संग्राम में अपने किये गये य्ग्दन से वे प्रसिद्ध थे |

रबींद्रनाथ टैगोर की शिक्षा 

रबींद्रनाथ टैगोर की प्रारंभिक शिक्षा घर पे कराइ गई | उच्च शिक्षा के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया गया | वे जब १६ वर्ष के थे, उन्होंने कानून की पढाई इंग्लैंड से किया | पढाई पूरा होने के बाद ही भारत वापस आये क्योंकि उन्हें एक कवी और लेखक के रूप में आगे बढ़ना था | सन १९१५ में उन्हें जॉर्ज पंचम ने नाइटहुड की पदवी से सम्मानित किये गये |

रबींद्रनाथ टैगोर का दैनिक जीवन

भारत के महान कवि, साहित्यकार, शिक्षाविद राष्ट्रवादी रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म मई १९६१ को कोलकाता में धनी सुसंस्कृत परिवार में हुआ था | उनके पिता का नाम महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर था, उनके पिता बंगाल में महान समाजसेवी थे |

उनकी माता का नाम शारदा देवी था, उनकी माता धार्मिक और शील विचार की महिउला थीं | रबींद्रनाथ टैगोर अपनें पिता के सबसे छोटे पुत्र थे, इनके परिवार के लोग शिक्षित और कला-प्रेमी थे | उनका शिक्षा निजी शिक्षकों द्वारा घर पर ही उचित शिक्षा औए ज्ञान को प्राप्त किये |

रबींद्रनाथ टैगोर छोटे थे, तभी से कविता लिखना सुरु का दिए थे | २३ वर्ष की उम्र में रबींद्रनाथ टैगोर का विवाह मृणालिनी देवी नाम की कन्या से हुआ | उनके एक पुत्र समीन्द्रनाथ और एक पुत्री मीरा थी |

रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा किये गये कार्य 

रबींद्रनाथ टैगोर कवी, चित्रकार, देशभक्त, दार्शनिक, उपन्यासकार, कहानी लेखक, निबंधकार, आलोचक तथा रचनात्मक कार्यकर्ता थे | उनकी सूक्ष्म कलात्मक अर्थ, बुद्धि, मानव चरित्र के गहरे समझ के रूप में उनके उपन्यासों और लघु कथाओं की सुंदरता के कारण उन्हें महान कवी का दर्जा दिया गया है |

उन्हें ड्रामा, संगीत, कविता तथा कला के लिए प्रवृत्ति अधिक थी | रबींद्रनाथ टैगोर की रचना हमारे देश की राष्ट्रगान उन्हीं की रचना है | रबींद्रनाथ टैगोर का महानतम और सबसे प्रसिद्ध काव्य ‘गीतांजलि’ हैं |

उन्होंने मूल रूप से गीतांजलि की रचना बंगाली भाषा में किये और बाद में उसका अनुवाद अंग्रेजी में किये | धीरे-धीरे बंगाल के महान कवियों में रबींद्रनाथ टैगोर का नाम आने लगा |

उपसंहार 

रबींद्रनाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार से मिली धनराशी से उन्होंने ‘शांतिनिकेतननामक विश्व भारती महाविद्यालय की स्थापना किये | ७ अगस्त १९४१ में इस दुनियाँ को अलविदा कह दिए |

निष्कर्ष

रबींद्रनाथ टैगोर को साहित्यिक योगदान गीतांजलि के लिए १३ नवंबर १९१३ में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किये गये | महान कवी और समाज सुधारक थे, उन्होंने भारत का गौरब बढाया | रबींद्रनाथ टैगोर जैसे विद्वान, महान कवी पर हमेशा गर्व रहेगा |

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Updated: नवम्बर 5, 2019 — 6:02 पूर्वाह्न

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