प्रस्तावना :
वन हमारी अमूल्य संपदा है जिसकी रक्षा करना देश के प्रत्येक नागरिकों की जिम्मेदारी है | मानव का पहले से ही प्रकृति से घनिष्ठ संबंध है | वन संपदा हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति की अमूल्य धरोहर है |
वन संपदा वातावरण में उपलब्ध धुँआ, धूलकण, कार्बन, सीसा, कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और मानव जीवन को प्रदूषित करने वाली गैसों कजो घटाकर जीवन को सुरक्षा प्रदान करते हैं |
किसी क्षेत्र में वनों का घनत्व अत्यधिक रहता है उसे वन खा जाता है | वनों की अनेक परिभाषाएँ हैं, जो मापदंडों पर आधारित हैं | वनों ने पृथ्वी के लगभग ९.५% भाग को घेर रखा है | कुल भूमि क्षेत्र का लगभग ३०% भाग घेर रखा है |
वन सभी जीव-जंतुओं के लिये आवास स्थल जल-चक्र को प्रभावित करते हैं और मृदा संरक्षण के काम आते हैं |
वन संपदा का उपयोग
वन प्रकृति की कीमती संपदा हमारी आदिम सभ्यता का जन्म एवं विकास वनों से ही हुआ था | वन हमारे लिये फेफड़ों का काम करते हैं | वन मानव एवं वन्य जीवन के लिये बहुत ही आवश्यक है |
भारत में सिंचाई का एकमात्र साधन वर्षा है, वह पहाड़ों पर बर्फ के रुप में या मैदानों में पानी के रुप में बर्फ पिघलकर पानी बनकर नदियों में जाएगा |
वन संपदा क्यों कहा जाता है
प्रकृति के बिना मानव जीवन असंभव है | मानव जैसे-जैसे प्रकृति से दूर होता जा रहा है वैसे ही मानव शरीर दुःख एवं रोंगों का घर बनता जा रहा है | जहाँ वन प्रकृति की सुषमा बढ़ाते हैं, वहीँ मानव को जीवन प्रदान करते हैं | वन मानव जाति की अमूल्य संपत्ति है इसलिए हम इन्हें वन संपदा कहते हैं |
वन नहीं रहेंगे तो हम भी नहीं रहेंगे विश्व की सभी सभ्यताओं एवं संस्कृतियों में वन के महत्व को स्वीकारा गया है | भारतीय संस्कृति में तो वनों की महिमा का गुणगान किया गया है | हमारे महान ग्रंथ, वेद, उपनिषद और आरण्यक वनों में बैठकर ही रचे गये है |
महाकवि वाल्मीकि ने भी रामायण की रचना वन में ही की थी | वास्तव में मानव सभ्यता की रक्षा तभी संभव है जब वनों का संरक्षण किया जाए | वनों में अभी भी हमारी आदिम जातियाँ निवास करती है | वन पशु-पक्षी प्रजातियों के लिये आज भी है |
वैज्ञानिक परीक्षणों ने यह सिद्ध कर दिया है की वृक्ष मानव के लिये बहुत ही लाभदायक है | वन प्रदेश की अमूल्य धरोहर है यह हिमाचल में यह संपदा ३४ करोड़ वर्गमीटर में फैला हुआ है | वृक्ष हमें बहुत कुछ देते हैं फिर भी मानव अपने स्वार्थ के लिए उनपर कुल्हाड़ी चलाने से पीछे नहीं हटता है |
प्रारंभ में वन मानव को भोजन, वस्त्र और प्रदान करते थे फिर भी मानव ने वनों की सहायता से अपनी खेती और बस्ती बनाई लेकिन मानव को वनों से भोजन पकानें के लिये तथा घर बनानें के लिये लकड़ी देते हैं | रबर, लाख, गोद, दियासलाई, कागज, पैकिग बोर्ड, भलाई आदि उद्योग वनो पर ही आधारित है |