प्रस्तावना :
गुरु गोविंद सिंह जी सिख समुदाय के लोगों के दसवें गुरु थे | खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविंद सिंह जी एक महान तेजस्वी और शूरवीर नेता थे | सन १६९९ में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना किये जो की सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना माना जाता है | विचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है |
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म २६ दिसंबर १६६६ में बिहार के पाटलीपुत्र (पटना) में हुआ था | इनके पिता जी का नाम तेग बहादुर सिंह था जो सिखों के नौवें गुरु थे | गुरु गोविंद सिंह जी के माता गुजरी था | गुरु गोविंद सिंह जी का बचपन का नाम गोविंद राय था |
१६७२ में गुरु गोविंद सिंह जी का परिवार चक्क नानकी आनंदपुर साहिब में रहने के लिए आया | वहा उन्होंने पंजाबी, फारसी, संस्कृति की शिक्षा प्राप्त किये और एक योद्धा बननें के लिए सैन्य कौशल सीखे | गुरु गोविंद सिंह जी को राजपूत बन्नर सिंह जी ने घुड़सवारी और अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा प्रदान किये |
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म स्थान “तख़्त श्री पटना हरी मंदिर साहिब” के नाम से प्रसिद्द है | यह हरी मंदिर पटना शहर में स्थित सिख आस्था से जुड़ा ऐतिहासिक स्थल है | गुरु गोविंद सिंह जी एक शूरवीर और तेजस्वी नेता थे जिन्होनें मुगलों के अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई थी, और ‘ सत श्री अकाल ‘ का नारा दिये | उन्होंने कायरों को वीर और वीरों को सिंह बना दिया था |
पिता का बलिदान :
उस समय में औरंगजेब के अत्याचार जोरों पर थे | वह तलवार के जोर पर हिंदुओं को मुशलमान बना रहा था | कश्मीर में भी हिंदुओं को जबरजस्ती मुस्लमान बनाया जा रहा था | इससे भयभीत होकर कश्मीरी ब्राह्मण गुरु तेग बहादुर के पास आये और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए प्रार्थना किये |
तभी गुरु तेग बहादुर जी ने बोला कि इस समय किसी महापुरुष के बलिदान की जरुरत है तो पास में ही बैठे बालक गोविंद राय ने बोला की पिता जी आप से बढ़कर महापुरुष कौन हो सकता है | उनके इन्हीं बातों से तेग बहादुर सिंह ने बलिदान देने का फैसला लिया | गुरु तेग बहादुर जी दिल्ली पहुँचकर धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे दिया |
गुरु तेग बहादुर सिंह जी की मृत्यु के बाद २९ मार्च १६७६ में गुरु गोविंद सिंह जी को सिख धर्म का दसवाँ गुरु बनाया गया | केवल नौ वर्ष की आयु में ही वे एक वीर योद्धा बन चुके थे | अपने पिता के बलिदान से उनके अंदर अत्याचारों से लड़ने और उसका डटकर मुकाबला करने की असीम भक्ति दी थी |
सन १६९९ में बैसाखी के दिन में गुरु गोविंद सिंह जी खालसा पंथ की स्थापना किये | वे मुगलों, शिवलीक तथा पहाड़ियों के राजा के साथ १४ युद्ध लाडे | गुरु गोविंद सिंह जी ने धर्म के लिए अपने समस्त परिवार का बलिदान कर दिया | इसलिए उन्हें “सर्वस्वदानी” भी कहा जाता है |
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