निबंध का अर्थ :
यदि आप निबंध लेखन की कला में निपुण होना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको यह समझना होगा की निबंध किसे कहा जाता है | निबंध का अर्थ होता है – किसी वस्तु से संबंधित विचारों का ऐसा क्रमबद्ध और सुव्यवस्थित लेख जिससे हम उस विषय की विस्तृत या संक्षिप्त जानकारी मिल जाती है |
निबंध क्या है :
निबंध गद्य लेखन की ऐसी विधा है जिसमें लेखक अपने विचारों को व्यवस्थित और क्रमानुसार पढ़ने वालों के सामने रखता है | निबंध शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है नि + बंध मतलब एक प्रकार से बंधी हुई रचना | अर्थात वह रचना जो विचारपूर्वक क्रमानुसार लिखी गई हो |
निबंध के प्रकार :
किसी सजीव या निर्जीव पदार्थ का वर्णन को वर्णनात्मक निबंध कहा जाता है | जिसमें किसी घटना, वस्तु और स्थान का वर्णन होता है | वर्णनात्मक निबंध में किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, परिस्थिति, दृश्य आदि को आधार बनाकर लिखा जाता है |
जैसे की दीपावली, ईद, क्रिसमस, यात्रा, दृश्य, स्थान या कोई घटना, गणतंत्र दिवस की परेड, ताजमहल, चारमीनार, ओलंपिक खेल आदि पर लिखे गये निबंध को वर्णनात्मक निबंध कहा जाता है |
विवरणात्मक निबंध :
इतिहासिकम समाजिकम पौराणिक या आकस्मिक घटनाओं, यात्राओं, त्योहारों और व्यक्तियों का परिचयात्मक विवरण करना ही विवरणात्मक निबंध कहलाता है | जैसे की विद्यालय का वार्षिकोत्सव, रेल यात्रा, मेला, ऋतू मैच, संस्मरण आदि का विवरण |
विचारात्मक निबंध :
किसी विचार, गुण, समस्या, दोष, मनोभाव, धर्म आदि के विषय पर परिचयात्मक और व्याख्यात्मक लेखन को ही विचारात्मक निबंध कहा जाता है | इस प्रकार का निबंध लिखना प्रायः कठिन होता है | विधवा-विवाह जैसे सामजिक राष्ट्रीय एकता, विश्वबंधुत्व आदि | इस प्रकार के निबंध में बुध्दित्व की प्रधानता होती है और इसमें लेखक के मन में चिंतन, अध्ययन, धारणा और मान्यताओं का प्रभाव साफ दिखाई देता है |
भावनात्मक निबंध :
भावनात्मक निबंध जैसे किसी लेखन में हृदय में उत्पन्न होने वाले भावों और रागों को दर्शाया जाए तो उसे भावनात्मक निबंध कहते हैं | इस प्रकार के निबंध में भाव की प्रधानता होती है, और के निबंध कवित्वपूर्ण और प्रवाहमय प्रतीत होते हैं, जैसे परोपकार, देशप्रेम, सदाचार, राष्ट्र भाषा आदि |
निबंध के अंग :
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शीर्षक :
निबंध लेखन में शीर्षक आकर्षक होना चाहिए ताकि पढ़ने वाले पाठकज के मन में निबंध पढ़ने की उत्सुकता पैदा हो जाए |
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प्रस्तावना :
यह निबंध की श्रेष्ठता की नींव होती है, इसे भूमिका भी कहा जाता है | प्रस्तावना में विषय का परिचय दिया जाता है | यह बहुत ही रोचक और आकर्षक होनी चाहिए |
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विस्तार –
निबंध का मुख्य अंग विस्तार है, यहीं विचारों का विकास होता है | इसका संतुलित होना जरुरी है | इसमें अलग-अलग अनुच्छेदों में विषय पर विचार प्रकट किए जाते हैं |
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उपसंहार –
यह निबंध के अंत में निबंध के सार के रूप में लिखा जाता है | इसमें दूसरे के विचारों को उद्घृत कर या कविता की पंक्तिके माध्यम से निबंध समाप्त किया जा सकता है