प्रस्तावना :
पौराणिक समाज में महिलाओं को देवी लक्ष्मी का अवतार माना गया है | लेकिन आज की स्थिति उस समय से बिलकुल विपरीत है | महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है |
महिलाओं का आदर करना और उन्हें उचित सम्मान देना यह भारत की सदियों पुराणी परंपरा थी | यह भी सच है की जिस समाज में या घर में नारी को सम्मान दिया जाता है | वही सुख और समृद्धि बनी हुई होती है |
महिलाओं की स्थिति
मध्यकालीन युग से पौराणिक युग में महिलाओं की सामाजिक स्थिति अच्छी थी | लेकिन बदलते समय के साथ-साथ समाज के अंदर काफी कुरीतियों ने जन्म लिया जो महिलाओं की दशा ख़राब करने में अहम भागीदार थी |
महिलाओं को केवल पुरुषों का गुलाम समझा जानें लगा था | महिलाओं से सिर्फ यही अपेक्षा की जाती थी की वे पुरुषों की संतुष्टि का ध्यान रखें और उन्हें घर की चारदीवारी में कैद करके रखा जाता था |
नारी शक्ति
नारी शक्ति एक अद्भुत और अलैकिक शक्ति है | इसके साथ ही नारी सृष्टि की सबसे शानदार रचना है जो केवल समाज को आगे नहीं बढाती है बल्कि अन्याय का भी विनाश करती है | महिला के बिना पूरा संसार अधूरा है |
महिलायें समाज में प्रतिष्ठित और सम्मानित हो रही हैं | वे अब घर की लक्ष्मी ही नहीं बल्कि घर से बाहर समाज का दायित्व निर्वाह करने के लिए आगे बढ़ रही हैं | महिला ममता, त्याग, प्रेम की देवी है लेकिन जब उनका अपमान हुआ है तो धर्म की हानि और युद्ध हुआ है |
भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना
समाज में महिलाओं का सम्मान
रामायण और महाभारत
निष्कर्ष :
इस युग में महिला और पुरुष में भेदभाव किया जानें लगा महिलाओं को उनके हक़ से वंचित किया गया | स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ कई मामलो में पुरुष से पीछे रखा गया | महिलाओं का इस युग में सती प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, दहेज़ प्रथा जैसी कुरीतियों का शिकार होना पड़ा है |