प्रस्तावना:
विकलांग एक शारीरक बीमारी हे. जो ठीक हो सकती हे या नहीं इसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता. ये भगवांन का अभी शाप कहा जाता हे. हम हमारे आजु बाजु हमारे परिवार में कितने विकलांग लोग देखते हे.
विकलांग अभिशाप
क्या विकलांग भगवान् का दिया अभिशाप हे. सब कहते हे की, ये हमारी पिछली जन्म की कोई करामात होगी जिसकी वजह इस जन्म हमें उसकी सजा मिली. ये हम अपने घर में भी कितनी बार ये सुनते हे अपने कर्मो की सजे हमें मिलेगी.
लेकिन क्या ये सही हे बोलना. जो विकलांग हे उसे पता होता हे की वो किस परिस्थिति का सामना करता होता हे. शरीर एक अंग काम नहीं कर सकता ये सोच कर हम कितना कतरा जाते हे, कभी आप करके देखना आप बोहोत अच्छी तरह से देख सकते हे.
लेकिन आँख पर पट्टी बांध कर चलके देखना नहीं हो सकता कही भी टकरा जायेंगे या गिर सकते हे.
विकलांग के प्रकार
विकलांग के दो प्रकार हे. जो जन्म से विकलांग होते हे और दूसरे जो जन्म से अच्छे होते हे लेकिन किसी दुर्घटना से उनका कोई अंग काम नहीं कर पाता या कांट दिया जाता हे.
विकलांग की तकलीफ
एक विकलांग व्यक्ति जो आँख , कान, या बोल नहीं सकता उसे ज्यादा परेशानी होती हे. हम उसे एक दीनहीन भावना से देखते हे. लेकिन उनकी तकलीफ नहीं समज पाते. मुख बधिर तो खुद को संभल सकते लेकिन जो अंध हे उनको बोहोत परेशानी होती हे. जो इस जग की सुंदरता नहीं देख सकते.
रंग नहीं देख सकते नाम पता हे पर दिख नहीं सकता. कहा जाना हे तो लाठी के सहारे. सामने से कुछ आता हो तो देख नही सकते. कोई भी ये जिंदगी नहीं जीना चाहेगा. और उसे हम उसके पिछले जन्म के कर्म कहकर कुछ भी बोल जाते हे.
विकलांग बोझ या मज़बूरी
कोई जन्म से विकलांग होता हे तो ये उसके कर्म नहीं तो गर्भ में किसी कमी के कारण होता हे, कोई बचपन में टिका नहीं लगाया हो.
कुछ गलत इंजेक्शन लगाए गए हो तो विकलांग निर्माण होता हे. ये बात हमें समझनी चाहिए. कोई किसी दुर्घटना के कारण अगर अपने हात पैर खो चूका हे तो वो परिवार का बोझ नहीं होता.
विज्ञान और विकलांग
आज हमारा विज्ञान इतना आगे आ चूका हे की, जो ऐसे लोगो के काम आ रहा हे. किसी को हाथ नहीं या पैर नहीं तो वो भी अब अर्टिफिशियल बने पैर हाथ लगाकर अपना जीवन थोड़ा सुधर सकते हे.
हमारे विज्ञानं ने इतनी प्रगति तो की ही हे. अब विकलांग लोग बड़ी सहजता से अपने काम कर सकते हे. उन्हें किसीके सहारे की जरुरत नहीं होती अब.
खेल और विकलांग
आज यही लोग आगे आ रहे हे. इनके लिए ओलिम्पिक जैसे खेलो में जगह बनायीं गयी हे. आज ये भी अपने देश के लिए मेडल्स लेके आ रहे हे. पैरालम्पिक जैसे गेम में अपने देश की दीपा मालिक उन्होंने गोलाफेंक में सुवर्ण पदक जीता. कौन कहेंगा उन्हें की वो विकलांग हे.
सारांश:
विकलांग अभिशाप नहीं. वो भी हमारी तरह इंसान हे.