प्रस्तावना:
चिडिया तो सबको पता हे. बचपन मे मॉ हमेशा खिडकी मे से दिखती थी, वो देखो चिडिया बाबू से मिळणे आयी हि हे केह्कर मस्ती किया करती थी.
चिडिया का परिचय
चिडिया एक आंतर्राष्ट्रीय पक्षी हे. ये भारत, बांगलादेश, मतलब भारत मे सब जगह , और विदोशो मेभी चिडिया पायी जाती हे.
ये एक नन्हा पक्षी हे. इसमे भी नर-मादा होते है.
चिडिया कि पहचान
चिडिया छोटा पक्षी हे, जो हमारे आजुबाजू हमे रोज दिखाई देते हे. पेडो पर उडते हुये, या जमीन पर कूछ खाना धुंडते हुये. नर चिडिया के सर, गर्दन, और पैरो पर हलके भुरे रंग के बाल होते हे.
चिडिया का खाना
चिडिया हमारे आजुबाजू हमे हर रोज दिखाई देती हे. उसका खान जमीन पडे अनाज के दाने, घांस के उपर रेहने वाले छोटे-छोटे किडे मकोडे, पेड पर लगणे वाले फल, जमीनपर पडणे वाले छोटे पत्थर.
चिडिया का घर
चिडिया अपना घोसला पेड, या किसी बिल्डिंग के कोनेमे बनाती हे, जहा अगर वो अपणे बच्चे रखे तो कोई उनको हानी न पोह्चाये. वो इन्सान हो या कोई पक्षी. चिडिया अपना घर घास, फटे कपडे का तुकडा,कापूस, ऐंसे सब यह वहा से यह वहा से सब एक एक चून कर अपना घोसला बनाती हे.इसमे नर चिडिया भी उसका साथ देताहे.
चिडिया के बच्चे
चिडिया के अंडे हलके भुरे रंग के अंडे डालती हे, जीसपर हलके से छोटे छोटे टीपके होये हे. वो अपने अंडे का खास खयाल रखती हे. इसमे नर चिडिया भी उसका साथ देता हे. क्युंकी चील, कौए उनके अन्डो को खा भी सकते और उसको नुकसान भी पोहचा सकते हे.
चिडिया एक वक्त पर ४ या ५ अंडे देती हे. नर और मादा चिडिया साथ मिलकर अन्डो का खयाल रखते हे. दस या बारा दिन मी अंडे पक कर बच्चे बहार निकल आते हे.
वो छोटे होते हे इसलिये नर और मादा चिडिया उनके लिये अपने चोंच मे दाने चुनकर खाने के लिए आते हे. दो तीन हफ्ते तो बच्चे अपना घर छोडकर उड जाते हे.नयी दुनिया कि सैर करने.
इंसान और चिडिया
कहते हे और देखा भी हे शायद कि अगर कोई इन्सान चिडिया को छु ले या उसे पकड ले तो सारी चिडिया उसे चोंच मार मार कर अध्मारा कर देते हे, और मरणे छोड देते हे. पता नहि ऐसे क्यु होता हे. आज के जमाने मे इतना पोलूषण हुं हे कि, ऐसे छोटे छोटे पक्षी लीन हो रहे हे.
आधुनिक टेक्नोलोजी कि वजह से मोबाईल कंपनीने बडे बडे टावर खडे किये हे, बिजली कि इतनी बडी बडी तारे लगायी गयी हे कि, बिचारे ये पक्षी उसपर बैठ जाये तो जलकर खांक हो जाते हे.
चिडिया कि घटती संख्या
आजहम देख रहे हे कि, चिडिया कि घटती संख्या बोहोत जादा हो चुकी हे. इसलिये हम २० मार्च को चिडिया दिवस मनाते हे. इसका कारण भी हम हि हे. अपने सुख सुविधा के बीच हम ऐसे छोटे छोटे पशु पक्षी को भूल गये हे.
सुबह सुबह उसकी सुरीली नाजूक वो आवाज आज कल हमे कम सुनाई देती हे.
सारांश:
चिडिया एक नन्ही सी जान हे मगर सबकी प्यारी हे. खांस कर बच्चो कि.