प्रश्तावना:
भारत का पहला उपग्रह आर्यभट्ट १९ अप्रैल १९७५ को सोवियत संघ द्वारा छोड़ा गया था | इसका नाम महान गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम रखा गया था | यह पांच दिन बाद काम करना बंद कर दिया था | लेकिन यह अपने आप में भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी |
७ जून को भारत द्वारा दूसरा उपग्रह भास्कर जो ४४५ किलो का था | जो की पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया था | १९८० में रोहिणी उपग्रह पहला भारत निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बन गया जिसे कक्षा में स्थापित लिया गया |
जब से यह दुनिया बना है तब से लेकर आज तक इस दुनिया में अनेक परिवर्तन हुआ है | लोग बदल रहे हैं और उनकी सोंच भी बदल रही है | जहाँ पहले हम एक स्थान से दूसरे स्थान तक जानें के लिए बैलगाड़ियां और साइकिलों का उपयोग करते थे |
वहीँ आज इस वैज्ञानिक युग में सब कुछ परिवर्तन हो गया है | हम आज एक स्थान से दूसरे स्थान पर जानें के लिए मोटरसाइकिल, कार, बस और ऑटोरिक्शा का उपयोग करते हैं |
अंतरिक्ष में रोने से आंसू नहीं गिरता है | क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता है | अंतरिक्ष यात्री के सूट को बनाने में १२ मिलियन डॉलर का खर्च आता है |
अंतरिक्ष में यात्री की लंबाई २.२५ इंच बढ़ जाती है, यात्री की लंबाई बढ़ने का कारण है | अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण का दबाव नहीं होता है | इसलिए जब अंतरिक्ष यात्री अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा करता है तो उनकी लंबाई बढ़ जाती है |
भारत ने अंतरिक्ष की खोज के लिए कई लोगों को अंतरिक्ष की यात्रा करने के लिए भेजा गया | जिनका उद्देश्य अंतरिक्ष में खोज करके हमारे देश को कई तरह से लाभन्वित करना था |
भारत में तिरुअनंतपुरम के निकट थुंबा नमक स्थान पर सन १९६३ में रॉकेट प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया गया | सन १९६९ में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO का गठन किया गया | इसके बाद सन १९७२ में भारत सरकार ने अंतरिक्ष विभाग तथा अंतरिक्ष आयोग की स्थापना की |
भारत सरकार हर साल अपने बजट को बढ़ावा देती रहती है, संगठन चंद्रमा पर एक ऑर्बिटर-लैंडर-रोवर मिशन की योजना बना रहा है २००८ में यह पहला ऑर्बिटर था |