प्रस्तावना :
हिंदू धर्म में सांप को देवता का दर्जा दिया गया है, और नागपंचमी को नागपूजन का विशेष त्यौहार माना जाता है | सांप को सर्प भी कहा जाता है यह रेंगने वाला सरिस्रप जगत का मांसाहारी जीव है |
सांप के परिवार के अनेक प्रजातियां हैं | सांप लगभग दुनियां के सभी हिस्सों में पाये जाते हैं | विश्व भर में सांपों की अलग-अलग ढाई हजार प्रजातियां पाई जाती है |
सांप दुनिया के कुछ ठंडे द्वीपों को छोड़कर सांप सभी स्थानों पर पाए जाते हैं | सांप अधिकतर पैर रखने पर काटते हैं | सांप बहुत ही जहरीला जीव होता है | इसके काटने पर पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु होना भी संभव है |
सांप अपने खाने को चबा नहीं सकते इसलिए उन्हें अपने खाने को निगलना पड़ता है | अंटार्टिका के अलावा सांप विश्व भर में पाए जाते हैं | सांप के कान उनके शरीर के अंदर होता है |
जब सपेरा सांप के सामने बीन बजाता है तो सांप बीन की आवाज से नहीं बल्कि उसके हिलने के तरीके से उचित प्रतिक्रिया देता है | सांप का जबड़ा मुलायम होने के कारण यह अपने से बड़े जानवरों को कहने में समर्थ है |
सांप की चमड़ी सुखी और कोमल होती है तथा साल में एक बार जड़ जाती है | सांप का शरीर अन्य जानवरों से बहुत ही अलग होता है जिसके कारण यह छोटा दिखने पर भी बड़े जानवरों को काट लेते हैं | सांप किसी भी चीज को अपने जीभ से सूंघते हैं |
सांप को बढ़ने के लिए ज्यादा भोजन की आवश्यकता नहीं होती है | सांप के चलने की गति बहुत तेज होती है | इनके आंख पर पलकें नहीं होती हैं | सांप गर्मी के समय में अपने बिलों से बाहर आते हैं |
दुनियां का सबसे लंबा और जहरीला सांप पाइथन रेटिकुलटेस होता है | सांपों की प्रजातियों में काले अंबा और कोबरा प्रजाति सबसे जहरीली प्रजाति होती है |
कोबरा प्रजाति के सांप अपने शिकार को अपने जहरीली जहर से मार देते हैं और फिर उसे निगल लेते हैं | पाइथन नाम का साँप अपने आप को अपने शिकार के शरीर पर इस तरह लपेट लेता है, कि उसका शिकार घुटन से ही मर जाता है |
सांप के प्रकार में लगभग ७५० सांप जहरीले होते हैं | जिसमें से २५० सांप के एक बार के ही काटने से इंसान की मृत्यु हो सकती है |
सांप के लगभग ४०० पसलियां होती हैं | सांप के कान नहीं होते हैं, किसी भी प्रकार की आवाज़ के कंपन सांप के अंदर के कानों तक, उसके चमड़ी और हड्डियों द्वारा पहुँचती है |
कुछ सांप के मुँह में २०० दाँत होते हैं लेकिन उनके दाँत चबाने के लिए नहीं इस्तेमाल किया जाता है | यह दाँत उनके मुंह में पीछे की दिशा में होते हैं | ताकि शिकार उसके चंगुल से भाग ना सके |