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उपग्रह पर निबंध – पढ़े यहाँ Essay on Satellite in Hindi

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By hindiscreen

प्रस्तावना:

अंतरिक्ष उड़ान के निर्देश में उपग्रह मानव निर्मित वस्तु है | मानव प्रयासों के द्वारा इसे ग्रह पथ में रखा गया है, सौर मंडल में चंद्रमा, जिसमें एक शनि चंद्रमा बड़ा है और उसका अपना वायु मंडल है | ग्रहों की परिक्रमा करने वाला आकाशीय पिंडों को उपग्रह कहा जाता है | चंद्रमा भी पृथ्वी का उपग्रह है, उपग्रह अपनें ग्रहों की परिक्रमा करने में उपग्रह एक निश्चित कक्षा में, निश्चित गति से घूमता है जिससे प्रत्येक स्थान पर अपकेंद्र बल के विपरीत हो जाता है|

चंद्रमा,पृथ्वी का एक प्राकृतिक उपग्रह है | इसके अलावा मानव अनेक कृत्रिम उपग्रह छोड़े हैं, जो लगातार पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है | टाईटन ग्रह इतना बड़ा है कि आकारों की तुलना के लिए पृथ्वी  भी दिखाई गई है | चंद्रमा या प्राकृतिक उपग्रह इसे वस्तु को कहा जाता है, जो किसी ग्रह या अन्य वस्तु केर आस-पास परिक्रमा करता हो|

उपग्रह का कक्षीय गति उपग्रह का कक्षीय गति

उपग्रह का कक्षीय गति, पृथ्वी के तल से ऊंचाई पर निर्भर रहता है |उपग्रह पृथ्वी तल से जितना दूर होगा, उतना ही उसका गति कम होगा | उपग्रह का कक्षीय गति, नि उसके द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है | यह एक ही त्रिज्या की कक्षा में  अलग-अलग द्रव्यमानों के उपग्रहों का गति समान होता है, पृथ्वी तल के नजदीक चक्कर लगानें वाला उपग्रह का कक्षीय गति लगभग ८ सेंटीमीटर होता है |

उपग्रह का परिक्रमण काल उपग्रह का परिक्रमण काल

उपग्रह अपनी कक्षा में पृथ्वी का एक चक्कर जीतनें समय में लगाता है, उसे परिक्रमण काल कहते हैं | परिक्रमण काल सिर्फ पृथ्वी तल से ऊंचाई पर निर्भर करता है | उपग्रह जितना ज्यादा दूर होगा, उतना ही ज्यादा उसका परिक्रमण काल होगा | इसे पृथ्वी के नजदीक चक्कर लगानें वाले उपग्रह का परिक्रमण काल ८४ मिनट का होता है |

उपग्रह पर निबंध

कृत्रिम उपग्रह का पृथ्वी तल से ऊंचाई इतना हो की इसका परिक्रमण काल पृथ्वी के अक्षीय गति के परिक्रमण काल के बराबर हो, तो वह पृथ्वी आपेक्षिक स्थिर रहेगा | इस प्रकार के उपग्रह को भू-स्थायी उपग्रह कहते हैं | इसका परिक्रमण काल पृथ्वी के अक्ष पर घूर्णन काल २४ घंटे तुल्य होता है, यह उपग्रह पृथ्वी तल से ३६००० किमी. की ऊंचाई पर रहकर पृथ्वी का परिक्रमा करता है |

उपग्रहों में भारहीनता उपग्रहों में भारहीनता

कृत्रिम उपग्रह के अंदर प्रत्येक वस्तु भारहीनता की अवस्था में होती है | इसमें बैठे अंतरिक्ष यात्री को भारहीनता का अनुभव होता है | उपग्रह के तल यात्री पर लगाया गया प्रतिक्रिया बल शून्य होता है | इसलिए उपग्रह के अंदर कोई भी यक्ति गिलास से पानी पीना चाहेगा तो वह नहीं पी पाएगा, क्यंकि गिलास टेढ़ा करते ही, पानी निकलकर बाहर की बूंदों में तैरनें लगेगा |

चंद्रमा भी पृथ्वी का उपग्रह है, लेकिन चंद्रमा भारहीनता नहीं होता है | क्योंकि चंद्रमा का द्रव्यमान ज्यादा होने के कारण चंद्रमा स्वयं अपनें तल पर स्थित व्यक्ति पर आकर्षण बल लगाता है, जिसे चंद्रमा पर व्यक्ति का भर कहते हैं |

प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारो तरफ दीर्घवृत्ताकार कक्षा में परिक्रमा करता है | प्रत्येक ग्रह क्षेत्रीय गति नियत रहता है, इसका प्रभाव सूर्य के निकट होता है |

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