प्रस्तावना:
सर्व शिक्षा अभियान की हमारे देश में भी और गांव गांव तक पोहचना जरुरी हे. अगर ऐसे अभियान न बना पाए तो हमारा देश कभी उन्नति की तरफ नहीं बढ़ पायेगा
प्राथमिक शिक्षण
हमारे देश में कई ऐसी जगह हे जहा प्राथमिक शिक्षा नहीं मिल पति. ये शिक्षा ५ से १४ साल के बच्चो के लिए होती हे. इसके लिए कई सारी संस्थाएं अपना काम कर रही हे. देश ऐसे कोनो तक पोहचा जाये की वह का किसी को नाम भी पता ही.
उन बच्चो को भी वही शिक्षा मिले जो हमारे बच्चे ले पा रहे हे. बालवाड़ी खोलकर ऐसे आदिवासी समाज के बच्चो को आगे बढ़ाया जा सके. इसलिए देश के कई नेता, कई संस्था काम कर रही हे. और अपनी टीम को गांव गांव तक भेज रही हे. ताकि वह की अंधश्रद्धा काम हो और एक अछी शिक्षा प्रदान हो.
सर्व शिक्षा अभियान
हम यही चाहते हे की, अगर कोई बच्चा शहर में एक अच्छी शिक्षा ले रहा हे, तो एक गरीब बच्चा भी उसके साथ वही शिक्षा ले सके. एक अच्छी ज़िन्दगी जीने के लिए. वो बच्चे पाटी, पेन्सिल, किताबे नहीं खरीद सकते नहीं उनके माता पिता की उतनी ताकत हे खरीदने की.
तो ऐसी बोहोत सारी संस्थाए यहाँ वहा से चंदा इकट्ठा कर और सरकार की मदत से इन सब चीज़ो का इंतज़ाम करके वह पोहचानेका काम करते हे. कोई बिना वेतन सेवा करता हे तो कोई अपनी जमा पूंजी इसमें इस्तमाल करके नया सुख पाता हे.
विकलांग सर्व शिक्षा अभियान
कई ऐसे विकलांग बच्चे हे जो एक साधारण स्कूल में नहीं पढ़ पाते. वो सुन बोल नहीं सकते. या फिर देख नहीं सकते. कुछ ऐसे बच्चे भी हे जो मतिमंद होते हे. उनको किसी के सहारे की जरुरत होती हे.
ऐसे बच्चो के अलग से स्कूल होना जरुरी हे. ऐसे शिक्षक होना जरुरी हे. ऐसे कामो के लिए बोहोत काम लोग सामने आते हे. जो ऐसे बच्चो को समज सके.
इसलिए उनको खुद को पहले प्रशिक्षण लेना जरुरी होता हे. अंधे लोगो के लिए ब्रेल लिपि सीखना जरुरी होता हे. वो देख नहीं सकते. हातो की उंगलियोंसे वो हर चीज़ को महसूस करते हे.
अगर वो सुन नहीं सकते तो उनके श्रवणयंत्र, देख नहीं सकते तो उनकी लाठी और ब्रेल लिपि की किताब. ये सब उपलब्ध होना जरुरी होता हे
गावों में सर्व शिक्षा अभियान
२००३-२००४ में ऐसे कई गावों में सर्व शिक्षण अभियान चलाये गए. और उसे अच्छा प्रतिसाद भी मिला. इस अभियान में सिर्फ शिक्षा नहीं दी जाती बल्कि एक पूरा गांव गोद लिया जाता. उन बच्चो को दुपेर -शाम का खाना नाश्ता दिया जाता हे. अच्छे कपडे.
पढ़ने की सारी सुविधाएं कोई नवजात शिशु को कोई बीमारी नहीं लगे इसलिए पोलियो टिका अभियान लसीकरण जैसे प्रयोग भी किये जाते हे. यही नन्हे बच्चे देश का भविष्य हे. अगर ये सुदृढ़ नहीं रहे तो देश भी सुदृढ़ नहीं बन पायेगा.
नए स्कूल
सर्व शिक्षा अभियान में नए स्कूल खोलना, वह के बच्चो को साफसुधरा जीवन देना. आजु बाजु में अपना परिसर साफ रखना अच्छा खाना खाना. पिणे का साफ पानी, साफ सुधरा शौचालय, बीमारियोंसे कैसे बचे. इसकी शिक्षा इन सर्व शिक्षा अभियान में दी जाती हे.
निष्कर्ष:
यही बच्चे देश का भविष्य हे.