भूमिका :
रक्षा बंधन का महत्व हमारे देश में अधिक है, क्योंकि यह त्यौहार भाई-बहन के प्यार को दर्शाता है | रक्षा बंधन हिन्दुओं का प्रसिद्द त्यौहार है इसे राखी का त्यौहार भी कहा जाता है | यह त्यौहार भाई-बहन के बिच स्नेह और पवित्र रिश्ते का प्रतिक है | रक्षा बंधन एक ऐसा धागा है जो भाई को संकटों से दूर रखता है | यह त्यौहार संपूर्ण भारत में बहुत ही खुशियों के साथ मनाया जाता है | रक्षा बंधन केवल एक त्यौहार ही नहीं बल्कि हमारी परंपराओं का प्रतिक है |
रक्षा बंधन कब मनाया जाता है
रक्षा-बंधन हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है | इस दिन बहन आरती की थाल सजाकर आरती उतारती है और माथे पर तिलक लगाकर दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधकर मिठाई खिलाती है और भाई की लंबी उम्र की दुआ करती है | भाई अपनी बहन को उपहार देता है और अपने बहन की सभी मुसीबत में साथ देने का वचन देता है |
रक्षा-बंधन का महत्व
रक्षा-बंधन के दिन राखी बाँधने की सदियों पुरानी परंपरा है | यह एक ऐसा रिश्ता होता है, जो भाई-बहन के प्यार को प्रदर्शित करता है | रक्षा-बंधन एक सामजिक, पौराणिक, धर्मिक और ऐतिहासिक भावनाओं के धागे से बना पवित्र बंधन है | जिसे भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और मॉरेशिस में भी धूमधाम से मनाया जाता है, जैन धर्म में भी राखी का बहुत महत्व होता है |
रक्षा बंधन की तैयारियाँ
इस दिन बहन सुबह जल्दी से उठती है और नये कपडे पहनकर राखी बाँधनेन की तैयारियाँ में लग जाती है | आरती थाली में राखी के साथ हल्दी, चावल, दीपक, मिठाई, फूल के साथ तैयार करती हैं | पहले अभीष्ट देवता का पूजा किया जाता है इसके बाद रोली हल्दी से भाई का टिका करके टिके पर चावल लगाया जाता है और फूलों को छिड़ककर आरती उतारी जाती है और दाहिनी कलाई में राखी बाँधकर मुँह मीठा किया जाता है |
इतिहास
रक्षा बंधन को लेकर इतिहास में कई कहानियाँ प्रसिद्द हैं उनमें से एक कहानी कृष्ण और द्रोपदी की है | जिसमें कृष्ण जी की उंगली युद्ध के दौरान घायल हो गई थी तब उनकी उंगली से बहते रक्त को रोकने के लिए द्रोपदी ने अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था | तभीकृष्ण जी ने द्रोपदी को हमेशा किसी भी मुसीबत में सहायता करने का वचन दिया था |
निष्कर्ष :
बंधन मानवीय भावों का हुए प्रेम, त्याग, और कर्तव्य का बंधन है | इस बंधन को एक बार बंध जानें पर इसे तोडना बहुत ही कठिन होता है | रक्षा बंधन के धागे में इतनी शक्ति होती है, जितनी लोहे की जंजी में भी नहीं होती है | जिस प्रकार हुमायूँ ने इस धागे से बंधे होने से बहादुर शाह से लड़ाई की ठीक उसी प्रकार हर भाई को यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए |