प्रस्तावना:
गुणवत्ता का संबंध हमारे शिक्षा प्रणाली से आता हे. हमारी बचपन से जो शिक्षा प्रणाली हे कीस उमर से लेके कहा तक होगी इसकि एक गुणवत्ता यादी होती हे.
गुणवत्ता का मतलब
गुणवत्ता का मतलब देखा जाये तो सोचनेमे बोहोत वक्त चला जायेगा, इसको हम छोटीसी शैलीमे जानने कि कोशिश करेंगे.आज कल शिक्षा प्रणाली मी बोहोत से बदलाव आते रेहते हे, जैसे किताबे,
हर कक्षा को कोनसे विषय होंगे मराठी माध्यम , इंग्लिशमाध्यम, हिंदीमाध्यम, ये तो हमारे शिक्षा के माध्यम हुये, ऐसेकई भाषा बोलणे वाले स्कुल होते हे. जो पैसे कि वजह से छोटे स्कूलो मी बच्चो को पाडाते हे.
इस आधार पर हमारी गुणवत्ता ठेहाराई जाती हे. हम एक कक्षा से दुसरी कक्षा मी अच्चे गुण लेके आगे जाणा एक गुणवत्ता हि होती हे. अगर कम गुण मिले तो आगे कि पढाई थोडी मुश्कील हो जाती हे.
विध्यार्तीयोन्की गुणवत्ता
आज सिर्फ शिक्षण पुरा करणा जरुरी नाही हे अच्चे गुण से पास होणा भी जरुरुई हो चुका हे. कारण यही कि आगे जाकर नौकरी के लिये हमे इन सब चीजोन्की जरुरत पडणे वाली हे. अछी शिक्षा अच्चे गुण हो तो बडी बडी कंपनी हमे नौकरी देगी.
शिक्षकोकागुणवत्तामेक्या योगदान
आज सिर्फ बच्चो का नही तो शिक्षक और माता पिता कि गुणवत्ता होना जरुरी हे.बच्चोंको सच मे क्या पढाना हे ये एक शिक्षक पे निर्भर होता हे, और उसे कैसे अपने बच्चो के रिविजन करके लेना हे ये माता पिता का काम होता हे.
बहोत सारी ऐसी स्कूल हे जहा अलग से ऐसे गुणवत्ता विषय पे अलग से क्लासेस लिये जाते हे. ताकी कोई बच्चा कमजोर ना पडे.
शैक्षणिक गुणवत्ता
तंत्रन्यान इतना आगे बढ चुका हे कि, की स्कूले मे पढाई के साथ नौकरी का भी एक अनुभव दिया जाता हे, एक छोटेसे वेतन के साथ मे. किबच्चा आगे जाके अपने आपको साबित कर सके.
गुणवत्ता के आधार पार नौकरी
आज कला क्रीडा क्षेत्र मे भी गुणवत्ता देखी जाती हे, हमारे देश मे कई ऐसी सरकारी नौकरी हे जिसमे खेल के आधार पर नौकरी दि जाती हे. अगर कोई किसी खेळ मे प्रारब्ध हे तो उसके गुणवत्ता के हिसाब से उसे नौकरी पाने का अवसर मिलता हे, अपनी शारीरिक गुणवत्ता दिखाकर.
हर सरकारी नौकरी मे, खिलाडी को ५ प्रतिशत जगह खली होती हे. खेल के अनुसार और उसके गुणवत्ता के नुसार उसका चयन किया जाता हे. और उसे नौकरी मिल जाती हे.
व्यापर में गुणवत्ता
पहले माल हम आसानीसे बाजार से या किसानोंसे उठाया करते थे. सीधा साथ व्यवहार था. ग्राहक और विक्रेता आमने सामने बात करके भाव तोल करते थे. इसमें आसानी होती थी.
मगर अब ऐसा नहीं होता. ये सब हमारे पास पोहचने तक कही सारे सफर करके आता हे. त्यावर कर लागु झालेत. त्यामुळे मालची गुणवत्ता खुप झाली आहे. अणि त्यामुळे बाजार भाव वाढला आहे.
गुणवत्ता की परिसीमा
गुणवत्ता में अगर कोई कंपनी अपना सामान बेच रही हे. और कोई ग्राहक उस चीज़ को खरीद रहा हे और बोहोत सारे पैसे दे रहा हे, तो वो कंपनी से उम्मीद रखता हे की उसे अच्छी सर्विस मिलेगी.
उसके हर शंका का निवारण कंपनी के पास होना जरुरी होता हे, अगर ऐसे ना हो, तो वही कंपनी अपनी गुणवत्ता के आधार पर ग्राहक को संतुष्ट कर सकती हे.
निष्कर्ष:
उत्पादक और ग्राहक में एक मेल होना जरुरी होता हे.