प्रस्तावना :
विमुद्रीकरण को ही नोट-बंदी कहा जाता है | विमुद्रीकरण का अर्थ होता है – किसी भी देश में सरकार द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को बंद करना या उनके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना जिससे वे नोट किसी काम के नहीं रहते हैं |
जब पुराने नोटों को बंद करके नए नोट चलाये जाते हैं उसे ही विमुद्रीकरण या नोट-बंदी कहा जाता है | विमुद्रीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत देश में प्रचलित पुराने मुद्रा को सरकार बंद का देती है |
और नई मुद्रा को लागू करती है, विमुद्रीकरण के अंतर्गत अधिकतर बड़े नोटों को ही बदला जाता है | जब नया नोट मार्किट में आता है तो पुराने नोटों की कोई कीमत नहीं होती है | पुराने नोट को बैंकों और एटीएम के माध्यम से बदलवाया जाता है | नोट को बदलवाने के लिए समय निर्धारित किया जाता है |
भारत देश एक विशाल देश है, यह विकास की बुलंदियों को छूटा जा रहा है | विमुद्रीकरण भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार द्वारा नोट-बंदी करने का निर्णय लिया गया था | विमुद्रीकरण के समय आम लोगों को तकलीफ हुई थी लेकिन भ्रष्टाचार और काला धन जैसी समस्या कम हुई, जिसके कारण भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार की नई क्रांति आई है |
नोट-बंदी की घोषणा भारत के वर्तमान सरकार माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा ८ नवंबर २१६ को रात आठ बजे अचानक से राष्ट्र को किये गए सम्बोधन द्वारा किया गया था |
यह सम्बोधन टीवी के द्वारा किया गया, इस घोषणा में ८ नवंबर की आधी रात से देश में ५,०० और १,००० रुपये के नोटों को खत्म करने का एलान किया गया | इसका उद्देश्य केवल काले धन पर नियंत्रण ही नहीं बल्कि जाली नोटों से छुटकारा पाना था |
विमुद्रीकरण साधारणतय उस समय होता है जब राष्ट्रिय मुद्रा में परिवर्तन किया जाता है, और देश के पुराने मुद्रा को नए मुद्रा से बदला जाता है |
भारत ने काला धन और फेंक करेंसी को ख़त्म करने के लिए इस व्यवस्था को अपनाया है | सबसे पहले साल १९४६ में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने विमुद्रीकरण को अपनाया था |
विमुद्रीकरण की आवश्यकता किसी भी देश को तब पड़ता है जब किसी भी देश में काला धन की जमाखोरी और जाली नोटों के कारोबार मीन अधिकता होए लगती है |
भ्रष्टाचार, काला धन , नकली नोट, महंगाई एयर आतंकवादी गतिविधियों पर काबू पाने के लिए ही विमुद्रीकरण का उपयोग किया जाता है |
सन २०१६ में नोट बंदी से पहलेबहुत से जाली नोट पाए गए थे जी की हमारे अर्थव्यवस्था को खराब कर रहे थे | अर्थशास्त्री मानते हैं की सुरक्षा के लिहाज से हर ५ साल में नोटों में कुछ बदलाव किये जाना चाहिए | नोट-बंदी की घोषणा ने सभी को हिला कर रख दिया | कुछ ;लोगों ने प्रधानमंत्री जी का समर्थन किया तो कुछ लोगों ने विरोध किया | जिन लोगों के पास काला धन रखा था वे लोग उस धन से सोना खरीदने लगे |
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