प्रस्तावना :
मैना बहुत ही छोटा पक्षी है यह एशिया के कुछ ही देशों में पाया जाता है | मैना मूल रूप से एशियाई पक्षी है | यह ज्यादातर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार में पाई जाती है | लेकिन अब यह विश्व के कई देशों में पाई जा रही है | मैना मनुष्य घर के आस-पास ही रहना पसंद करती है |
मैना पक्षी को अंग्रेजी में भी मैना कहा जाता है | मैं मैना चिड़िया की कई प्रजातियाँ पाई जाती है जिसमें से प्रमुख गुलाबी मैना, पवई मैना, भारतीय मैना है | मैना बहुत ही छोटी और सुंदर पक्षी है इसे एशिया की देशी चिड़िया भी कहकर बुलाया जाता है |
मैना चिड़िया काले, भूरे और चितले रंग की होती है और यह ज्यादातर मैदानों खेतों, मैदानों और जलाशयों के निकट पाई जाती है | इसके गर्दन काले रंग के होते हैं और चोंच नारंगी रंग की होती है |
मैना पक्षी बहुत ही सुंदर होती है | इसकी आवाज बहुत ही मधुर होती है | यह गाँव के मैदानों और जलाशयों के निकट रहती है | मैना चिड़िया अपना घोसला दिवार और पेड़ के छेद में बनाती है |
मैना चिड़िया के पैर बहुत ताकतवर होते हैं | यह केवल जुलाई के समय में ही अंडे देती है और यह दूसरों के हौसले में ही अंडे देती है | मैना चिड़िया एक साथ में ४ से ५ अंडे देती है | यह सर्वभक्षी होती है क्योंकि यह अनाज के दानें से लेकर कीड़े-मकौड़े भी खाती है |
पहाड़ी मैना चिड़िया की आवाज मीठी एवं मधुर लगती है | भारतीय मैना की पीठ और शरीर का रंग भूरा होता है | इसका पेट साइड रंग का होता है और इसके सिर का रंग काला होता है | मैना चिड़िया के पैर और आँख पिले रंग की होती है |
दक्षिण भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के लोग मैना को राजकीय पक्षी के रूप में भी मानते हैं | मैना चिड़िया के प्रजाति के लुप्त हो जाने के कारण सरकार द्वारा उन्हें बचानें के लिये अनेक योजनाएँ चलाये हैं |