मीराबाई पर निबंध – पढ़े यहाँ Essay On Mirabai In Hindi

प्रस्तावना

मीराबाई एक महान कवयत्री थी. मीराबाई के दोहे तो सबने सुने होंगे. उन्हें किशन भगवान से प्यार करने की बड़ी सजा मिली थी.

मीरा का प्यार

मीराबाई जब छोटी थी तब से उन्हें श्री कृष्ण भगवान् से प्यार और लगाव था. मन ही मन में उन्होंने भगवान श्री कृष्ण को अपना पति मान लिया था. उन्होंने खेल खेल में भगवन श्री कृष्ण की मूर्ति बनाकर उसे गले लगा लिया. और कहा ये मेरे पति हे. तब सब ने उनकी अवेहलना की, और उनके बारे में बुरा कहा. उन्होंने अपने सुख़ और राजसी जीवन को छोड़कर श्री कृष्ण की प्यार में उनके लिए गीत गाने लगी.

मीराबाई की शादी

मीराबाई की शादी भोजराज से हुई थी. लेकिन उनको शादी होने के बाद भी लैकिक जीवन जीना पड़ा था. उनके मन में सिर्फ भगवन श्री कृष्ण के लिए प्यार की सदभावना थी. लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उनको बहोत सारी कठनाई का सामना करना पड़ा था.

और वो बिचारि हमेशा अपने मन से पति माने हुए भगवान श्री कृष्ण का सहारा लिया करती थी. लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उनके पति भोजराज का देहांत हुआ. और उन्होंने फिर आजीवन भगवान श्री कृष्ण को अपना समज कर उनके प्यार में आजीवन उनकी मीरा बनकर उनके गीत गाती रही

मीरा की भक्ति की परीक्षा

मीरा बाई के इस प्यार की वजह से उन्हें हमेशा सबके ताने सुनने पड़ते थे. उनके इस व्यवहार के वजह से हमेशा उनको दुनिया के ताने सुनने पड़ते थे. इतने बड़े घर की बहु होने के बाद भी उनको ये कठिन जीवन व्यतीत करना पड़ रहा था. मीराबाई को सिर्फ कृष्ण से प्यार था. हमेशा उनकी मूर्ति को वो अपने पास रखती थी. उनके घर वाले ही हमेशा उनको तकलीफ देते थे. परेशांन करते थे.

उनके घरवालोने कई बार उनको जहर देके मारने की कोशिश भी की. यह बात हमेशा वो अपने दोहे में कहती हे. मीराबाई के भाई को भी ये पसंद नहीं था. घरवाले ही मीराबाई को तकलीफ दे रहे तो उसमे अड़ोस पड़ोस वाले भी इनको प्रताड़ित करते थे. वो ये सब भगवान श्री कृष्ण का प्रसाद समझकर सहन कर लेती थी.

वृन्दावन जाने का फैसला कर लिया. और वह चली गयी. और अकेले वह अपना जीवन व्यतीत करने लगी.

मीराबाई का सच्चा प्यार

उनका प्यार सच्चा था. वो एक सच्ची भक्त थी. भगवान श्री कृष्ण को अपना सब कुछ मान चुकी थी. उनके मूर्ति के सामने गीत गाना दोहे गाना. वो उनके प्यार में इतनी खो जाती थी. की उनको दिन रात का ख्याल भी नहीं रहता था.

उनका प्यार पवित्र था. उनका प्यार को हमेशा सबने शक किया अपवित्र माना और हमेशा सबने उनकी बदनामी की. सिर्फ उन्होने श्री कृष्ण के प्यार को अपनया था. सिर्फ उन्होंने एक ही सपना देखा था भगवन श्री कृष्ण को अपनाना.

मीराबाई का अंत

मीराबाई का प्यार सच्चा था. मगर प्रभु के प्यार में लीन होकर उनोने सब कुछ त्याग दिया था. और सच्चे मन से वो स्त्री कृष्ण की हो चुकी थी. उनकी मृत्यु के बाद भी कई  लोगो ने उन्हें बदनाम किया.

लेकिन उनके प्यार को आज भी इतिहास में एक कृष्ण की दीवानी मीरा कहकर सम्बोधित किया जाता हे. उनका एक अलग दर्जा हे अब उन्हें भी कृष्ण भक्त कहा जाता, और आज भी उनकी गीत गाये जाते हे.

“मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई” ये गीत उनका बहोत प्रचलित हुआ.

सारांश

उनका प्यार सच्चा था. इसलिए आज भी दुनिया में उनको किशन भगवान की दीवानी कहते हे.

Updated: मार्च 14, 2020 — 2:23 अपराह्न

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