जंतर मंतर दिल्ली पर निबंध – पढ़े यहाँ Essay On Jantar Mantar In Hindi

प्रस्तावना :

जंतर मंतर का निर्माण सबसे पहले जयपुर के खगोशास्त्री महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने सन १७२४ से १७३४ के बिच करवाया गया था | अंतरिक्ष और समय की सही जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से महाराजा सवाई जयसिंह ने देश का सबसे विशाल अप्रितम वेधशाला का निर्माण करवाये |

इस विशाल वेधशाला के निर्माण के पहले विश्व के अलग-अलग देशों में अपने खगोलशास्त्र की जानकारी रखने वाले दूतों को भेजकर वहां से खगोल विज्ञान के प्रमुख एवं महत्वपूर्ण ग्रंथों की पांडुलिपियां एकत्र किये और अध्ययन के लिए सभी को अपने संग्रहालय में संरक्षित किया गया |

महाराजा सवाई जयसिंह अठारहवीं सदी में भारत में राजस्थान प्रान्त आमेर के कछवाहा वंश के प्रतापी शासक थे | जंतर मंतर को बनने में करीब ६ साल लगें और १७३४ में यह बनकर तैयार हुआ |

जंतर मंतर एक खगोलीय वेधशाला है | इसे उज्जैन की वेधशाला में सम्राट यंत्र का नर्माण करवाये | उसके बाद उन्होंने भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित (जंतर मंतर) वेधशाला और फिर उसके बाद उन्होंने देश की सबसे बड़ी पिंकसिटी जयपुर की वेधशाला का निर्माण करवाये |

दिल्ली का जंतर मंतर एक खगोलीय वेधशाला है | यह इमारत भारत की वैज्ञानिक उन्नति का मिशाल है | महाराजा सवाई जयसिंह ने ऐसे वेधशालाओं का निर्माण जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में दिल्ली में बनी कुल प्रमुख ५ वेधशालाओं का निर्माण हिन्दू खगोलशास्त्र के आधार पर करवाया गया था |

खगोलीय वेधशाला का नाम जंतर मंतर रखा गया है | जिसका अर्थ – गणना करने वाले उपकरण से लिया गया है | जंतर मंतर की परिधि में विशाल सम्राट यंत्र लगा हुआ है | सम्राट यंत्र के दक्षिण में एक अन्य उपकरण है जिसका नाम जय प्रकाश है |

जंतर मंतर में कुल १४ यंत्रों के नाम :

  1. राम यंत्र
  2. उन्नातांश यंत्र
  3. दिशा यंत्र
  4. नाड़ी विलय यंत्र
  5. सम्राट यंत्र
  6. जय प्रकाश यंत्र
  7. लघु सम्राट यंत्र
  8. पाषांश यंत्र
  9. शशि वलय यंत्र
  10. चक्र यंत्र
  11. दिगंश यंत्र
  12. ध्रुव दर्शक पट्टिका यंत्र
  13. दलिनोदक यंत्र
  14. जय प्रकाश यंत्र

जंतर मंतर में विश्व की सबसे बड़ी पत्थर की सुर घडी :

महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा निर्माण किये गए भारत की कुल पाँच सबसे विशाल वेधशालाओं में से एक जयपुर की जंतर मंतर वेधशाला में विश्व की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्य घडी रखी गई है | इसे बृहत सम्राट यंत्र के नाम से भी जाना जाता है |

विश्व के धरोहरों में शामिल रायपुर जंतर मंतर , महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा बनवाया गया ५ प्रमुख खगोलीय वेधशालाओं में से एक है | अब केवल दिली के और जयपुर के ही जंतर मंतर बचे हैं बाकी समय के साथ विलुप्त हो गए हैं |

महाराजा जयसिंह द्वितीय कम उम्र से ही गणित में बहुत रूचि रखते थे | ५४ वर्ष के उम्र में उनकी मृत्यु के बाद देश में यह वेधशालाएँ बाद में बनने वाले तारामंडलों के लिए प्रेरणा और जानकारी का स्रोत रही है |

यदि आपके पास जंतर मंतर दिल्ली पर निबंध से संबंधित कोई अन्य प्रश्न हैं, तो आप नीचे टिप्पणी करके अपनी क्वेरी पूछ सकते हैं।

Updated: March 4, 2020 — 2:14 pm

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