भूमिका :
हिंदी भाषा हमारे देश की “राष्ट्रभाषा” है, अपने विचारों और भावनाओं को एक दूसरे तक पहुँचाने का प्रमुख माध्यम है | प्रत्येक व्यक्ति की अपनी भाषा होती है जिसके द्वारा वह अन्य व्यक्तियों से सम्पर्क स्थापित करता है |
व्यक्ति से समाज बनता है और समाज से राष्ट्र बनता है | प्रत्येक राष्ट्र की अपनी-अपनी भाषाएँ होती हैं | लेकिन प्रत्येक राष्ट्र की अपनी राष्ट्रभाषा होती है | किसी भी राष्ट्र की भाषा उसकी संस्कृति, विचारों एवं परंपराओं की पहचान स्थापित करती है | इस प्रकार हमारे भारत देश की राष्ट्रभाषा हिंदी है |
देश की आज़ादी के बाद 
सन १९४७ में भारत देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिंदी भाषा को हमारे स्वतंत्र भारत की राष्ट्रभाषा घोषित किया गया था |
हमारे देश के संविधान में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया | उस समय विद्वानों और राजनेताओं द्वारा दिया गया यद् दर्जा विवाद का विषय नहीं है |
बहुत ही सोंच-विचार के हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का गौरव प्रदान किया गया था | विद्वानों और राजनेताओं का यही मत था की हिंदी बहुल्य राष्ट्र होने के कारण हिंदी ही भारत की राष्ट्रभाषा होने का सम्मान प्राप्त करने की अधिकारी हो सकती है | वास्तव में हिंदी भारत के जन-जन की भाषा है |
गांधीजी भारत की स्वाधीनता के साथ-साथ राजभाषा, राष्ट्रभाषा अथवा संपर्क भाषा के रूप में किसी भारतीय भाषा को प्रतिष्ठित करना चाहते थे |
गांधीजी पुरे देश का दौरा करके यह निष्कर्ष निकले की हिंदी ही एक ऐसी भाषा हो सकती है जिसे राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने की कोई परेशानी नहीं होगी |
हिंदी भाषा का विस्तार 
गांधीजी चाहते थे की हमारा देश आज़ाद होने के बाद देश में राष्ट्रिय सरकार का काम किसी भारतीय भाषा में होना चाहिए |
उन्होंने अपने संकल्प को पूरा करने के लिए दक्षिण भारत में हिंदी प्रचार सभा की स्थापन किये की लोग हिंदी पढ़ें ताकि किस को हिंदी पढ़ने में बोलने में और समझनें में किसी भी तरह की कठिनाई ना हो वे चाहते थे की देश की शासन देश की भाषा में चलन चाहिए |
संविधान के अनुच्छेद ३४३ (१)
जब भारत देश स्वाधीन हुआ और हमारे देश का नया संविधान बनाया गया तब गांधीजी की बोली हुई बातों को लोगों ने याद किया और संविधान के अनुच्छेद ३४३ (१) में लिखा गया की “संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी” और संविधान में यह भी कहा गया की २६ जनवरी १९५० को नया संविधान लागु होने के १५ साल बाद हिंदी को समग्र रूप से राजभाषा का पद मिल जाएगा और जिन कार्यों में अंग्रेजी का प्रयोग होता रहा है उन सभी कार्यों में हिंदी का प्रयोग शुरू कर दिया जाएगा |
निष्कर्ष :
हिंदी को संस्कृत की बड़ी बेटी कहा कहा जाता है क्योंकि हिंदी के प्रमुख गुण हैं | हिंदी बोलने में पढ़ने में और लिखने में बहुत ही सरल भाषा है |
माननीय अटल बिहारी वाजपेयी ने अवश्य रूस जाकर हमारी राष्टभाषा हिंदी में भाषण देकर हिंदी को अंतराष्ट्रीय स्तर पर गौरव प्रदान किया था |