Partridge Bird

तीतर पक्षी पर निबंध – पढ़े यहाँ Essay on Hindi Partridge Bird

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By hindiscreen

प्रस्तावना :

भारत में विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं जिसमें तीतर नहीं एक पक्षी है | यह मुख्य रूप से प्राचीन  काल का पक्षी है | तीतर एक ऐसा  पक्षी हैं, जिसे अंग्रेज़ी में फ़ीज़ेन्ट कहा जाता है |

भारत की भाषा में फ़्रैंकोलिन  और पार्ट्रिज में कोई भेद नहीं है, इन दोनों को तीतर ही कहा जाता है | तीतर  एकलवासी प्रवर्ती का प्राणी है |

यह पक्षी  झुंड में नहीं रहता है, अकेले रहना पसंद करता है | तीतर पक्षी फसलों के कीट-पतंगों को खा जाता है जिससे किसानों की फसल अच्छी होती है |यह पक्षी गाँव के खेतों में पाए जाते है |

तीतर पक्षी के शरीर का प्रकार 

तीतर पक्षी का आवाज तीतर पक्षी का आकार अंडाकार होता है और देखने में सुंदर लगता है | इसका पंख छोटा होता है जिस पर भूरे रंग की धारियाँ होती हैं | निचे का भाग हल्के सफ़ेद रंग का होता है |

इसका चोंच और आँख अन्य पक्षियिन की तरह छोटा होता है ,और काले  रंग का होता है | तीतर पक्षी की पूंछ छोटी होती है और पंजा नुकीला होता है | इस पक्षी की नर प्रजाति का रंग मोर पक्षी की तरह चमकीला होता है और मादा का रंग फीका होता है |

तीतर पक्षी की प्रजाति 

तीतर पक्षी की प्रजातिपुरे विश्व में इसकी ४० से भी अधिक प्रजातियाँ पाया जाता है | इनमें से कुछ प्रजातियाँ सिर्फ भारत में पाया जाता है | तीतर पक्षी अफ्रीका, यूरोप, एशिया का निवासी है, यह भारत में अधिक पाया जाता है |

मादा तीतर ५ से ८ अंडा देती है इसके अंडों का रंग लाल या पीला होता है | तीतर का बच्चा जन्म से १५ दिन के अंदर ही उड़ने लगता है |

तीतर पक्षी का घोसला 

तीतर पक्षी का रहने का स्थानतीतर पक्षी का निवास घनी झाड़ियाँ और घास का हरा मैदान होता है | यह रेगिस्तान के सूखे इलाके में  है | यह अपना घोसला जमीन पर ही बनाता है, इसका घोसला घास का बना होता है |

तीतर पक्षी पेड़ की शाखाओं पर घोसला नहीं बनाता क्योंकि किट पतंगे, कीड़े इसे जमींन पर ही खाने को मिल जाता है | तीतर पक्षी उड़ने में कम सक्षम होता है, यह ज्यादा ऊंचाई पर नहीं उड़ता है | यह जमीन पर ही रहता है क्योंकि इसकी उड़ान छोटी और काम समय की होती है |

तीतर का मुख्य भोजन 

तीतरतीतर का मुख्य भोजन झाड़ पर लगने वाली बेरी होती है | इसके आलावा अनाज, फल, दीमक और चींटी को भी खाता है |

तीतर खेतों में जाकर फसलों पर रहने वाले किट पतंगों को खाकर किसान की सहायता करते हैं | यह अपने तेज पंजों से मिट्टी को खोदकर छोटे-छोटे पौधे निकल कर खता है दीमक और चींटी इसका मनपसंद भोजन है |

निष्कर्ष :

प्राचीन समय में किसान फसलों पर कीटनाशक दवाइयाँ का इस्तेमाल नहीं करते थे | फसलों को खाने वाले कीड़े-मकौड़े को किसान के मित्र पक्षी नियंत्रण में रखते थे | जिसमें तीतर उनमें से एक हैं जो फसलों को नुक्सान करने वाले कीटनाशकों को खा जाता था |

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