महादेवी वर्मा जी पर निबंध – पढ़े यहाँ Essay on Hindi Mahadevi Verma

भूमिका :

महादेवी वर्मा जी भारत की सफल कवियित्रियों में से एक हैं | हिंदी-साहित्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है, महादेवी वर्मा एक महान कवियित्री और लेखिका थीं |

जिन्हें हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती है | महादेवी वर्मा जी ने हिंदी साहित्य की दुनियाँ में बेहत्तरीन गद्य लेखिका के रूप में अपनी पहचान बनाई है |

महादेवी वर्मा जी का जीवन परिचय 

महादेवी वर्मा का जन्म २६ मार्च १९०७ में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के एक वकील परिवार में हुआ था |

महादेवी वर्मा जी के पिता का नाम गोविंद प्रसाद वर्मा था जो एक शिक्षक थे और वकालत भी चुके थे, और  माता का नाम हेमरानी देवी जो एक आध्यात्मिक महिला थीं |

महादेवी वर्मा की शिक्षा 

महादेवी वर्मा की शिक्षा इंदौर में मिशन स्कूल से प्रारंभ हुई और साथ ही उन्हें संस्कृति, अंग्रेजी, संगीत और चित्रकला की शिक्षा अध्यापकों द्वारा घर पर ही दी जाती रही |

जब वे सात वर्ष की थीं तभी से कविता लिखनें लगी थी  १९१९ में महादेवी वर्मा इलाहबाद में क्रास्थवेस्ट कॉलेज में प्रवेश ली और कॉलेज के छात्रवास में रहने लगी |

१९२१ में आठवीं में प्रथम स्थान प्राप्त किये | १९२५ में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर एक सफल कवियित्री के रूप में प्रसिद्द हो गई |

कॉलेज में सुभद्रा कुमारी चौहान के साथ उनकी घनिष्ठ मित्रता हो गई | सुभद्रा कुमारी चौहान महादेवी जी का हाथ पकड़ सहेलियों के बिच ले जाती और बोलती “सुनों, ये कविता भी लिखती हैं” |

विवाह जीवन

सन १९१६ में महादेवी वर्मा के दादा जी श्री बाँके बिहारी ने उनका विवाह बरेली के पास नवाब गंज गाँव के रहनेवाले श्री स्वरुप नारायण वर्मा से कर दिए जो कक्षा १०वीं में पढ़ रहे थे |

इण्टर करने के बाद नारायण वर्मा लखनऊ मेडिकल कॉलेज में बोर्डिंग हाउस में रहने लगे | श्रीमती महादेवी वर्मा को अपने जीवन में साहित्य से ही प्रेम था उन्हें प्रेम संबंध और विवाह बंधन में कोई रूचि नहीं थी लेकिन पति के साथ उनके रिश्ते अच्छे थे |

नारायण वर्मा ने महादेवी वर्मा के कहने पर भी दूसरी शादी नहीं किये | पुरे जीवन महादेवी वर्मा सफ़ेद वस्त्र पहनी, और कभी शीशा नहीं देखी | सन १९६६ में पति के मृत्यु के बादवे स्थाई रूप से इलाहबाद में रहने लगी |

महादेवी वर्मा की रचनाएँ :

  • निहार
  • रश्मि
  • नीरजा
  • सांध्यगीत
  • दीपशिखा
  • यामा
  • मेरा परिवार
  • अतीत के चलचित्र

महादेवी वर्मा  के पुरस्कार 

सन १९३४ में महादेवी वर्मा द्वारा रचित “नीरजा” के लिए हिंदी साहित्य सम्मलेन में उन्हें ‘केसरिया पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया |

१९५२ में महादेवी वर्मा “उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य” मनोनीत की गई | १९५६ में भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’ प्रदान किया गया और १९८८ में पद्म विभूषण प्रदान किया जो की भारत सरकार का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है |

निष्कर्ष :

महादेवी वर्मा को हिंदी की महान कवियित्रीयों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक ‘मीरा’ के नाम से जाना जाता था | महादेवी वर्मा जी का स्थान सर्वोपरि है उनके व्यक्तित्व में संवेदना, दृढ़ता और आक्रोश का संतुलन मिलता है | वे अध्यापक, कवी, गद्यकार, कलाकार, समाजसेवी थीं |

Updated: December 10, 2019 — 10:10 am

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *