प्रस्तावना :
सह-शिक्षा सभी छात्रों और छात्राएँ को एक साथ शिक्षा देने की प्रणाली है | प्राचीन समय में ग्रीस में स्पार्टा में सह शिक्षा विद्यमान थी | पहले लड़के और लड़कियों के बिच कोई भेदभाव नहीं था | वे एक साथ अध्ययन किया और खेला | शैक्षणिक शिक्षा के साथ दोनों लिंगों को शारीरिक प्रशिक्षण भी दिया गया था | प्लेटो, ग्रीक दार्शनिक का मानना था की सहशिक्षा ने महिला और पुरुष दोनों के व्यक्तित्व विकास में मदद की |
सह-शिक्षा का महत्व प्राचीन समय से ही किया गया है | प्राचीन भारत में कुछ स्थानों पर शह-शिक्षा प्रचलित थी | लेकिन धीरे-धीरे महिलाओं की शिक्षा को नजर अंदाज करना शुरु हो गया | और शिक्षा की व्यवस्था भी आज की तुलना में बहुत ही अलग थी | अपनी पूरी शिक्षा पूरी करने के लिये विद्यार्थी गुरुकुल में रहें |
सह-शिक्षा में छात्र-छात्राएँ एक साथ पढ़ते लिखते हैं | उन्हें एक-दूसरे को समझनें का पूरा अवसर मिलता है | जो की उनके भावी जीवन में सहायक बनता है | सह-शिक्षा का प्रचलन आज प्रत्येक विकसित और विकासशील देशों में इसका प्रचलन है |
प्राचीन भारत में लड़के और लड़कियों को गुरुकुल में रखकर पढ़ाया जाता था | जहाँ चरित्र निर्माण पर अत्यधिक बल दिया जाता था | आधुनिक युग में परिस्थितियों के साथ-साथ चरित्र और आचरण के अर्थो में परिवर्तन आया है |
सह-शिक्षा लड़के और लड़कियों के संपूर्ण विक्सा का सबसे उपयुक्त मार्ग है | जहाँ उन्हें केवल शिक्षा ही प्राप्त नहीं बल्कि उन्हें नैतिक और चारित्रिक विकास का भी बेहत्तर मौका मिलता है | ऐसे छात्र समाज में हर जगह अपने आत्मबल के सहारे हर माहौल में सभी परिस्थितियों से मुकाबला करने में सक्षम होते हैं | सह सह-शिक्षा में गुण और दोष दोनों हैं | हमारे समाज में बहुत सी सामाजिक कुरीतियाँ हैं उनमें से एक सह-शिक्षा को लेकर भी है | इन कुरीतियों में ग्रसित लोग सह-शिक्षा को अस्वीकार करते हैं |
आधुनिक युग में सह-शिक्षा को लेकर जितने भी प्रयोग हुए सब सफल हुए हैं | आज कई महिलाएँ देश और विदेशों में बड़ी-बदु कंपनियों में उच्च पद पर आसीन हैं |