असम के बिहू त्यौहार पर निबंध – पढ़े यहाँ Essay on Bihu in Hindi

भूमिका :

बिहू का त्यौहार भारत के असम राज्य के फसलों की कटाई पर मनाया जानें वाला प्रमुख त्यौहार है | बिहू का यह त्यौहार असम के तीन अलग  त्यौहार विश्व के सभी असमी वासी इसे बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं | बिहू एक साल में यह त्यौहार असम में तीन बार मनाया जाता है |

बिहू का त्यौहार 

बिहू का त्यौहारइस त्यौहार को दूसरी बार विषुव संक्रांति के दिन मनाय जाता है | जो बंगाली पंचांग का आखिरी दिन होता है | तीसरी बार यह त्यौहार कार्तिक महीने में मनाया जाता है | बिहू का त्यौहार फसल की कटाई से जुड़ा हुआ है, जो की साल में तीन बार मनाया जाता है | यह त्यौहार तीन बार अलग-अलग कृषि चक्र को दर्शाता है यह फसलों की कटाई से जुड़ा हुआ है |

असम केवल राज्य का नाम नहीं है यह प्राकृतिक सौंदर्य, प्रेम, विभिन्न संस्कृतियों के झलक का प्रतिक है | असम की अनेक संस्कृतियों में से बिहू एक ऐसी परंपरा है, असम में मनाया जानेवाला बिहू मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है |

बिहू शब्द 

बिहू शब्द बिहू शब्द बिहू नृत्य और बिहू लोक गीत दोनों की ओर संकेत करते हैं | रोंगाली बिहू या बोहाग बिहू असम का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है | यह त्यौहार सभी असम वासियों द्वारा बहुत ही मस्ती के साथ मनाया जाता है | यह त्यौहार उनके जाति, धर्म और विश्वास में भेद भाव नहीं करते हुए धूमधाम से मनाया जाता है |

बिहू भाषा दिमासा लोगों की भाषा से ली गई है जो प्राचीन काल से एक कृषि समुदाय है | बिहू का यह त्यौहार कृषि सीजन की शुरुआत को भी दर्शाता है | यह कहा जा सकता है, की बिहू एक धर्मनिरपेक्ष त्यौहार है जो विभिन्न जाति और धर्म के बिच मानवता और भाईचारा लाता है |

रोंगाली बिहू

रोंगाली बिहूरोंगाली बिहू हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख के महीने के संक्रांति में मनाया जाता है | यह साल का पहला बिहू है, इस समय वसंत ऋतू की आगमन की ख़ुशी को दर्शानें के लिए मनाया जाता है | रोंगाली बिहू के पहले दिन लोग प्राथना, पूजा और दान करते हैं | पेड़ों लताओं में रंग-बिरंगी फूलों के कारण प्रकृति की सौंदर्य खूबसूरत दिखाई देता है |

भोगाली बिहू 

भोगाली बिहूअसम में भोगाली बिहू माघ के महीने में मनाया जाता है | इस त्यौहार के आरंभ में सभी लोग अग्नि देवता की पूजा की पूजा करते हैं | बंबू से मंदिर के आकार की कृति बनाई जाती है जिसे स्नान के बाद सम्मान पूर्वक जलाई जाती है |

कोंगाली बिहू 

कोंगाली बिहू कार्तिक महीने में मनाया जाता है, इस दिन तुलसी के पौधे लगाकर दिप जलाया जाता है | बिहू का अपना सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व है |

निष्कर्ष :

बिहू के त्यौहार पर संक्रांति के दिन से बिहू नाच नाचते है, लोगों का २०-२५  मंडली होती है, जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों साथ-साथ ढोल, पेपा, गगना, ताल, बांसुरी के साथ अपने पारंपरिक परिधान में एक साथ बिहू करते हैं |

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