प्रस्तावना:
वसंत ऋतू का मौसम ठंडी के मौसम के बाद शुरु होता हे. मार्च, एप्रिल, मे ये तीन महिने वसंत ऋतू के होते हे.
वसंत ऋतू का मौसम
वसंत ऋतू का मौसम बडा सुहाना होता हे. सुखे पत्ते, फूल, गिरकर हरी भरी पत्तियोंका आणा, ये प्रकृती कि एक अनोखी अदा हे. प्रकृती के नियम से हमारे छे ऋतू आते हे, वसंत ऋतू, ग्रीष्म ऋतू, वर्ष ऋतू, शरद ऋतू, हेमंत ऋतू, शिशिर ऋतू ये हमारे छे ऋतू.
वसंत ऋतू का आनंद
यह ऋतू ठंडी के बाद अपनी एक सुखद नमी सी धूप लेकरं आता हे. जिससे मानव, पशु, पक्षी, पेड,पौधे जो ठंडी मे गरम कपडे, आग के सामने बैठकर गर्मी लेना, पशु पक्षी अपने आप को ठंड से बाचते हुए जब वसंत ऋतू आता हे तो उसका बोहोत अच्छे से स्वागत करते हे. वो पेह्ली वसंत ऋतू कि धूप बोहोत सुहानी धूप होती हे.
वसंत ऋतू का काल
वसंत ऋतू का मौसम मतलब सुखें पेडो पर खिलते हुए वो नाजूक हलके सुनेहरे रंगो के पत्ते, छोटे छोटेपेडो पर खिलती कलिया, वसंत ऋतू का आणे का संदेशा होता हे. ये मौसम बोहोत खीला खिला होता हे.
ठंडी के मौसम से सब उभरानें लगते हे, जो थंडी के मौसम मी स्वेटर, शॉल, मुफलर के बिना बाहेर नाही आ पाते थे, अब वसंत ऋतू के हलके सुरज कि किरणोमे बाहर भटकणा चाहते हे, बाग बगीचे मे वो रंगबिरंगी फुलोंको देखणा पसंद करते हे.
ऋतू अनुसार त्योहार
वसंत ऋतू आते हि पहला त्योहार आता हे होली का. जो रंगो से खेली जाती हे, जैसे वसंत ऋतू मे रंगबिरंगी फुल, पौधे खिलने लागते हे, वैसे हि हम रंगबिरंगी रंगो से होली का त्योहार मनाते हे. प्रकृती ने हर चीज कुछ सोच समझ कर बनाई हे, जिसे हम झुटला नाही सकते, सिर्फ उसका आनंद ले सकते हे.
होली का त्योहार सभी लोग बडे मजे से खेलते हे. यहा जात-धर्म नहि आङे आता. वसंत ऋतू सबसे बडा माना जाता हें, क्यून्की हर प्रकृती ने निर्माण किये हुए पेड, पौधे, वातावरण मी नया पण जगता हे, सुखे पत्ते झडकर नये आना शुरु होता हे.
सबाने इसे ऋतू राज कि उपमा दि हे. क्यूनकी ये ऋतू मुरझाये हुए पेड पौधो को फारसे खिलाता हे. एक नई जाण एक नई उमंग इन मे आ जाती हे.
शहरी वसंत ऋतु
आज कल शहर की भाग दौड़ की ज़िंदगी में वसंत ऋतु कब आता हे कब जाता हे किसी को पता नहीं चलता. हर कोई इतना कमाने में व्यस्त हो चूका हे की, ऋतु आके चले जाते हे, और हम नहीं जा पाते, तो मौसम को गालियाँ देते हे. वसंत ऋतु हमें खुश रखने आता हे, लेकिन लेकिन हम ये सब प्रकृति की रचना देखना नहीं चाहते. ना उसका आनंद लेना चाहते हे.
इसका आनंद एक ही व्यक्ति लेता हे वो हे हमारा किसान। जो प्रकृति के साथ जुड़ा हुआ हे. और उसका आनंद भी लेता हे. और महसूस भी करता हे.
वसंत पंचमी
वसंत पंचमी का त्यौहार गांव में बड़े धूमधाम से मनाते हे. और इस पुजा में माँ सरस्वती की पुजा की, जाती हे. भगवान श्री कृष्णा भी इस वसंत ऋतु का आनंद उठाते कहते हे में हु वसंत में.
सारांश
वसंत ऋतु जैसे सुखे पत्तो की जगह नए पत्ते खिलता हे, इससे हमें ये सीख लेनी चाहिए पिछले सब गम भुलाकर आगे बढ़ो.