परिचय:
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जो न केवल एक प्रसिद्ध विद्वान, कवि और एक क्रांतिकारी पत्रकार थे, बल्कि उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके अमूल्य योगदान के लिए भी याद किया जाता है.
मौलाना आज़ाद के नाम से लोकप्रिय, उन्होंने स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया और वे कई भाषाओं में पारंगत थे जैसे अरबी, अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, फारसी और बंगाली.
प्रारंभिक जीवन
मौलाना आज़ाद का जन्म ११ नवंबर, १८८८ को मक्का में हुआ था. उन्होंने अपना बचपन मक्का और मदीना में बिताया जहाँ वह अपने जीवन के पहले दस वर्षों के लिए अरबी माहौल में बड़े हुए थे.
उन्होंने अपने शुरुआती शिक्षा के लिए अपने विद्वान पिता के सामने अपने घुटने टेक दिए. उन्हके पिता उन्हें पढ़ाते थे.आज़ाद अपनी उच्च शिक्षा के लिए कैरो में इजीप्ट के जामिया अज़हर में गए, जहाँ उन्हें पूर्वी प्रणालियों के ज्ञान की शिक्षा मिली.
करियर
जब वे अरब से भारत आए, तो उन्होंने कलकत्ता को अपनी पत्रकारिता, विद्वता और राजनीतिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में चुना. यहाँ, उन्होंने १९१२ में अल-हिलाल नामक पहला सचित्र साप्ताहिक शुरू किया जोकि ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक अत्यधिक आलोचनात्मक रुख था. इसकी बावन हजार प्रतियों की प्रभावशाली छाप ने इसकी प्रासंगिकता और अपील की मात्राओं की बात की.
अपने लिए इसे आपत्तिजनक पाते हुए, अंग्रेजों ने १९१४ में इसके प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके बाद उन्होंने अल-बालघ नामक एक और प्रकाशन शुरू किया, जिसने आज़ाद के ब्रिटिश विरोधी रुख को भी दोहराया.
नेता के रूप में
मौलाना आज़ाद राजनीतिक मोर्चे पर बहुत सक्रिय थे और उन्होंने असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और खिलाफत आंदोलन में भाग लिया. उन्होंने महात्मा गांधी, डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी, हकीम अजमल खान और अली बंधुओं के साथ एक बड़ा बदलाव किया था.
अहिंसा के गांधी के दर्शन से गहराई से प्रभावित होने के कारण, उन्होंने अपने नेतृत्व में पूर्ण विश्वास दोहराया.मौलाना आज़ाद आखिरकार एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे.
भारत की स्वतंत्रता के बाद, मौला आज़ाद ने शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया और देश में नीति निर्माण और शिक्षा प्रणाली की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
उनके बारे में
संगठन में शामिल होने के बाद से वह कांग्रेस के लिए एक ताकत का स्तंभ थे. राष्ट्रपति के रूप में या कार्यसमिति के सदस्य के रूप में, मौलाना साहब की आवाज़ देश की आजादी और उसकी एकता के लिए अदम्य सेनानी की आवाज़ थी.
मुस्लिम लीग आंदोलन के दिनों को याद करने वाले जानते हैं कि मौलाना साहब सांप्रदायिकता के खिलाफ चार वर्ग कैसे खड़े थे.एक दार्शनिक, राजनेता, राजनीतिज्ञ और प्रशासक, मौलाना आज़ाद अपने आप में एक संस्था थे. उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस तक देश के लिए काम किया और भारत के लोगों की सेवा करते हुए मृत्यु हो गई.
वह अपने शुरुआती युवाओं से क्रांतिकारी आंदोलन में थे. उन्होंने भारत की मुक्ति और एकता के लिए अथक प्रयास किया. अपनी राजनीतिक गतिविधियों के अलावा जो एक राजनेता थे, वे एक महान मुस्लिम परमात्मा थे.
निष्कर्ष:
मौलाना आज़ाद का अंग्रेजों के खिलाफ स्पष्ट रुख था, और हिंदू-मुस्लिम एकता के उद्देश्य के लिए उन्होंने काम किया.