दहेज़ प्रथा पर निबंध हिंदी में – पढ़े यहाँ Dowry Practice Essay In Hindi

प्रस्तावना :

दहेज़ प्रथा हमारे समाज के लिए एक कलंक माना जाता है | दहेज़ प्रथा पुराने ज़माने से अस्तित्वात है | दहेज़ प्रथा उसको कहते है जो जो लड़की की शादी में उसके माँ बाप से धन या संपत्ति के रूप में लिया जाता है | शादी में लड़के को दहेज़ नही देंगे तो लड़की की शादी रोकी जाती है | और उसको तंग किया जाता है |

दहेज़ प्रथा की शुरुवात

पुराने ज़माने में राजा और महाराजा यह लोग अपने बेटी की शादी में हीरे, सोना और चाँदी यह सब दिया करते थे | दहेज़ क प्रथा धीरे धीरे पुरे समाज में फ़ैलने लगी थी | इसके कारण आज भी देश में दहेज़ की प्रथा अस्तित्वात है |

सरकारी कायदा

देश में कन्या भ्रूण हत्या, दहेज़ प्रथा, लडकियों को अकेले छोड़ना और बहुत सारे समस्याओं का सामना करना पड़ता है | यह सब प्रथा प्राचीन समय में रूढ़ थी |

पैसे कमाने के लिए यह सब प्रथा का अवलंब किया जाता था | और लड़कियों का शारीरिक, मानसिक छल किया जाता था | यह सब समस्याओं को रोकने के लिए भारत सरकारने प्रतिबन्ध कायदा किये है |

दहेज़ प्रतिबंध कायदा, १९६१

लडकियों से दहेज़ लेने और देने के लिए सरकारने कानून व्यवस्था की है | इस अधिनियम कायदे के अनुसार जो भी दहेज़ लेगा और देगा उसको जुरमाना भरना पड़ेगा | उसको ५ साल की सजा होगी और १५००० रुपये तक जुरमाना भरना पड़ेगा | दहेज़ की माँग करने पर ६ साल का कारावास और १०००० रुपये का दंड हो सकता है |

महिला संरक्षण कायदा, २००५

बहुत सारी महिलाओं को अपने ससुराल में दहेज़ के माँग को पूरा करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तंग किया जाता है | महिलाओं को शसक्त बनाने के लिए महिला संरक्षण कायदा लागु किया है |

दहेज़ प्रथा रोकने के उपाय

दहेज़ प्रथा को रोकने के लिए सरकार और समाज को प्रयास करना होगा | इस दहेज़ प्रथा को रोकने के कायदे करने चाहिए | तभी सभी लोग दहेज़ लेना बंद करेंगे |

दहेज़ प्रथा पर कायदा लगायेंगे तो यह दहेज़ प्रथा रुक सकती है | सभी लोग दहेज़ लेने के लिए किसी भी लड़की को मजबूर नही करेंगे |

निष्कर्ष :

दहेज़ प्रथा समाज में एक बड़ी समस्या बन गयी है | इस प्रथा पर सरकार ने प्रतिबंध कायदा किया है लेकिन ज्यादातर भागों में इस प्रथा का आज भी पालन किया जाता है |

इसके कारण लड़की को और उसके परिवार का जीना मुश्किल हो रहा है | इस प्रथा को बंद करने के लिए सभी लोगो को एकसाथ आवाज उठानी चाहिए |

Updated: मार्च 1, 2019 — 7:48 पूर्वाह्न

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *