प्रस्तावना:
हमारा भारत देश पुरुष प्रधान देश होने के कारण नदियों पर बहुत सारे अत्याचार किये जाते हैं | देश को आज़ादी मिलने से पहले भी भारतीय नारी पर बहुत सारे अत्याचार किये जाते थे | उनको हर एक मुसीबत का सामना करना पड़ता था | नारी को विविध प्रथाओं का शिकार भी होना पड़ता था |
इन सभी मुश्किलों को दूर करने के लिए बहुत सारे समाज सुधारकों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं | लेकिन देश को आज़ादी मिलने के बाद भी नारी के ऊपर होने वाले अत्याचार कम नहीं हुए हैं | उनके ऊपर अन्य प्रकार के घरेलु हिंसात्मक अत्याचार किये जा रहे हैं |
घरेलू हिंसा
नारियों को लिंग भेदभाव, दहेज प्रथा, शारीरिक शोषण, छेड़छाड़ इन सभी समस्याओं का शिकार होना पड़ रहा हैं | उनके ऊपर मानसिक, शारीरिक घरेलु और सार्वजानिक हिंसा की जा रही हैं | इसके कारण नारी लगातार हिंसा का शिकार हो रही हैं | इन सभी क्रूरता के कारण नारियों पर बहुर गहरा ससार पड़ रहा हैं |
दहेज़ प्रथा
जब लड़की बड़ी हो जाती हैं, तो उसके शादी में दहेज़ देना पड़ता हैं | कई लोग गरीबी के कारण दहेज़ नहीं दे पाते हैं | इसलिए दहेज़ के लिए उनकी हत्या कर देते हैं |
कई लोग शादी के बाद दहेज़ की माँग करते हैं | और दहेज़ न मिलने पर उसे मारते हैं | उनके साथ बहुत सारे अत्याचार करते हैं |
समाज में महिला को जिंदा जला देना, मारपीट करके उसके घर से बाहर निकाल देना ऐसी बहुत सारी घटनाएँ हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं | कई लोग मदिरापान करके महिलाओं पर अत्याचार करते थे |
हिंसा का मुख्य कारण
महिलाओं के साथ होने वाले हिंसा के पीछे मुख्य कारण पुरुष प्रधान सोच होती हैं | ज्यादातर ग्रामीण भागों में महिलाओं को समाज, परिवार और उनके रिश्तेदारों की वजह से पीड़ित होना पड़ता हैं | महिलाओं पर होने वाले हिंसात्मक अत्याचार यह टीवी चैनलों में और अख़बारों में पढने के लिए मिलते हैं |
हिंसा अधिनियम कायदा
यह कायदा महिला बाल विकास के द्वारा शुरू किया गया हैं | घरेली हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए उनकी शिकायते सुनकर पूरी जाँच पड़ताल करने बाद यह मुद्दा न्यायालय तक भेजा जाता हैं |
निष्कर्ष:
महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा आज बहुत चिंतादायक विषय बन गयी हैं | इस घरेलु हिंसा को दूर करने के लिए सभी लोगों को प्रयास करना चाहिए | महिलाओं को दुसरे के ऊपर निर्भर नहीं रहना चाहिए बल्कि अपनी जिम्मेदारी उसे खुद लेनी चाहिए | उसे अपने अधिकारों और सुविधाओं के लिए जागरूक होना चाहिए और उसके ऊपर होने वाली हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए |