प्रस्तावना :
८ नोव्हेम्बर २०१६ के शाम में माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी एक अचानक घोषणा की जिससे सम्पूर्ण भारत देश को झटका सा लगा।
नोट बंदी में जब पुराने नोट एवं सिक्को को खारिज करके जब नए नोट और नए सिक्को को लागु किये जाते है तब हम उसे नोट बंदी कहते है। प्रधान मंत्री मोरारजी देशाई ने १०० रुपये के ऊपर के सारे नोटे पर बैन (रोक )लगा दिए थे|
भारत देश में इमरजेंसी हटते ही कुछ समय बाद मोरारजी देशाई सरकर ने शासन सँभालते ही १९४६ में १००० ,५००० और १०,००० रूपये के नोटों के मान्यता पर रोक (प्रतिबन्ध ) लगा दिया। ठीक उसी तरह माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के शासन कल में भी नोट बंदी की.
नोटेबंदी का कारण
८ नोव्हेम्बर २०१६ के शाम में माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के एक अचानक घोषणा के बाद सनसनी सी फैल गई।, हालाँकि इस घोषणा में भारत सरकार द्वारा ५०० तथा १००० के नोट पर पाबन्दी (बैन ) लगाने की घोषणा की।
भरष्टाचार , कालाधन ,नकली नॉट ,महंगाई और आतंकवाद माहौल पर नियंत्रण पाने के लिए ही नोटेबंदी का सहारा लिया गया। जो लोग भ्रष्टित होते है वो लोग नगद को कालेधन के रूप में संचित करके रखते है
इसका कारण यह ही था, की अब कला धन पुनः भारत में वापस लाना है, जिससे गरीब जनता को आर्थिक तंगी/मन्दी से रहत मिले यह तक की इस घोसना के तहत ये भी व्यक्त किया गया की ५०० तथा १००० के नोट अबप पुनः जारी नहीं किये जायेंगे।
८ नोव्हेम्बर ,२०१६ के कुछ दैनिक समस्याएं

नोटबांदि के बाद काफी लोगो ने माननीय परधान मंत्री का समर्थन किया तो वही पर काफी लोगो ने उनका विरोध भी किया। इसके करण भारतीय नागरिको ने हर बैंको तथा एटीएम में नगद प्राप्त करने के लिए लम्बी लम्बी कतारे में खड़े होकर परिश्रम करने लगे।
हालांकी कुछ लोग ने तो इसे अपना पेशा भी बना लिया था। जिसके कारण अगले ही दिन १० नवेम्बर २०१६ को ५०० रूपये की नोट ३०० रूपये में , और १००० रूपये की नोट ८०० रुपए में बिकना शुरुरु हो गया।
जिसके कारण जनता में कुछ आक्रोश भी देखने को मिला जिससे उन्होंने इस कानून को ख़ारिज करने के लिए मांग किया।
नोट बंदी के परिणाम
नोटेबंदी के कारण लोग ५०० तथा १००० रूपये के रूप में जो कला धन संचित करके रखे थे| वो सरकार को समर्पित करने के लिए मजबूर हो गए, यहाँ तक की कई लोग इस चोरी के लिए जेल में सजा भी भुगत रहे है|
निष्कर्ष :
नोट बंदी का निष्कर्ष यह निकला है ,की यह एक ठोस कदम था. जिससे हमें भ्रस्टाचार से, काला धन ,कर के चोरी से ,गरीबी ,आतंकवाद से हम लड़ सके।
और भारत के आर्थिक स्थिति का स्तर हम उभार सके /सुधर सके। अगर नोट बंदी के कुछ नुक्सान है तो कुछ फायेदे भी है। जैसे की आप जानते ही है हर सिक्के के दो पहलू होते है
यदि नोटबांडी नहीं होती तो भारत में आर्थिक स्थिति में जागरूकता लेन की पहल भी नहीं होती। और (जी. एस.टी ) जैसे कानून पर कार्यान्वय भी नहीं होता।